हल धारण करने के चलते ही बलरामजी को हलदार भी कहते हैं
#HalShashthi : 9 अगस्त को हलषष्ठी मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को बलराम जयंती के तौर पर मनाया जाता है। हलषष्ठी के दिन हल की पूजा की जाती है इसलिए हल से जुता हुआ कुछ भी खाना वर्जित होता है। बता दें कि भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र हल तथा मूसल है। हल धारण करने के चलते ही बलरामजी को हलदार भी कहते हैं।
जानते हैं हलषष्ठी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
मुहूर्त…
षष्ठी तिथि प्रारम्भ: सुबह 04 बजकर 18 मिनट से (09 अगस्त 2020)
षष्ठी तिथि समाप्त: सुबह 06 बजकर 42 मिनट पर (10 अगस्त 2020)
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16 अगस्त 2020, दिन: रविवार, प्रदोष व्रत।
इस तरह करें पूजा…
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
- जहां पूजा करनी है उस जगह को अच्छे से साफ करें। पूजन स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
- पूजन स्थल पर श्रीकृष्ण और बलराम जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इन्हें फूलों का हाल चढ़ाएं।
- अगर हो सके को एक छोटा हल भी पूजन स्थल पर रखें क्योंकि बलराम का शस्त्र उनका हल है।
- बलराम जी को नीले और श्री कृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें।
- प्रतिमा के आगे दीप जलाएं।
- श्री कृष्ण-बलराम जी का स्तुति पाठ करें।
- सच्चे मन से बलराम जी से प्रार्थना करें कि आपकी संतान बलशाली हो।
- आरती करें और पीली मिठाई का भोग लगाएं।
- मिश्री और मक्खन का भी भोग लगाएं।
- ध्यान रखें कि हल से जुती हुई कोई भी सब्जी या अनाज इस दिन ग्रहण न करें। गाय के दूध का सेवन भी न करें।
- इस दिन पसहर के चावन ही खाएं।
- पूजा सम्पन्न हो जाने के बाद गरीब बच्चों में पीली मिठाई बांटे।