शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि एवं महत्व
#HariyaliTeej : हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 03 अगस्त दिन शनिवार को पड़ रहा है। श्रावण मास में शिव-पार्वती के परस्पर मिलन की स्मृति में यह पर्व उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाया जाता है। उत्तर भारत में हरियाली तीज तथा पूर्वी भारत में कजरी तीज के नाम से विख्यात इस पर्व के एक दिन पूर्व “रतजगा”होता है, जिसमें स्त्री-पुरुष रात्रि जागरण करते हुए समान भाव से लोकगीत “कजरी”गाते हैं।
महत्व
सोलह श्रृंगार से सुसज्जित विवाहित स्त्रियां उत्तम सन्तति और सौभाग्य की कामना से इस व्रत को शिव-पार्वती को समर्पित करती हैं। इसे श्रावणी तीज एवं मधुश्रवा के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी क्षेत्र में यह पर्व ‘ठकुराईन’ जयंती के नाम से भी विख्यात है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज के पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर बाद का है। दोपहर में 03:37 से रात 10:21 बजे तक आप भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पूजा मंत्र
इसका पूजन मन्त्र इस प्रकार है-
“देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।
कामांश्च देहि मे।।
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।”
विधि
दीर्घ एवं सुखी दाम्पत्य की भावना से इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन स्त्रियां स्वर्णगौरी को सुहाग पिटारी अर्पित कर विधिवत पूजा करती हैं तथा अखण्ड सौभाग्य-सन्तति प्राप्ति की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव को भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप आदि अर्पित करती हैं। वहीं माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाती हैं।
सुहागिन महिलाएं मायके से आए हुए वस्त्र को पहनती हैं।