ARTI PANDEY
कानपुर: तिलकनगर स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल से गिरकर तीन साल पहले हुई हर्षिता अग्रवाल की मौत पहेली बनकर रह गई। लगभग तीन साल चली न्यायिक कार्यवाही के बाद अपर जिला जज 14 अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा ने दहेज हत्या के आरोपी पति, सास व ससुर को सबूत न होने के आधार पर दोषमुक्त करार दिया है। डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी (DGC Criminal Dilip Awasthi) का कहना है कि फैसले के खिलाफ अभियोजन अपील को तैयारी कर रहा है।
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हर्षिता का विवाह 24 जनवरी 2017 को तिलकनगर निवासी उत्कर्ष अग्रवाल से हुआ था। 6 जुलाई 2019 को तिलकनगर स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल से गिरकर उसकी मौत हो गई थी। हर्षिता के पिता पद्म कुमार अग्रवाल ने पति उत्कर्ष सास रानू व ससुर सुशील के खिलाफ कोहना थाने में दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि सुशील अपनी बेटी की शादी के लिए 20 लाख रुपये देने का दबाव बना रहे थे, रुपये न देने पर हर्षिता को मौत के घाट उतार दिया। तीनों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी गई थी। अभियोजन की और से 16 गवाह कोर्ट में पेश किए गए।
हर्षिता की बहन गीतिका, बहनोई रोहन व बहन के ससुर कमल कुमार गनेरीवाल ने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि हर्षिता ने उन्हें कभी दहेज प्रताड़ना की बात नहीं बताई थी हर्षिता की मौत में उसके पति, सास-ससुर को कोई भूमिका नहीं है। अभियोजन अपनी बात को साबित नहीं कर सका और सबूतों व गवाहों के आधार पर कोर्ट ने उत्कर्ष सुशील व रानू चीनों को बरी कर दिया। मुकदमे में सास-ससुर को तो जमानत मिल गई थी लेकिन उत्कर्ष साढ़े तीन साल से जेल में ही बंद था।
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बदला था बयान
पद्म ने कोर्ट (COURT) में अपने बयान दर्ज करा दिए थे लेकिन बाद में एक शपथपत्र देकर मुकर गए थे। इसमें कहा था कि बेटी ने आवेश और उत्तेजना में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। घटना झूठा के समय उत्कर्ष व सुखीत ससुराल में मौजूद नहीं थे। कैंसर की बीमारी के दौरान उन्होंने महसूस किया कि उत्कर्ष रानू व सुशील हर्षिता को मौत के लिए दोषी नहीं है इसलिए मुकदमे की पैरवी बंद कर दी दहेज मांगने का जो आरोप लगाया है यह क्रोथ व आवेश में आकर लगा दिया, दहेज के लिए कभी का उत्पीड़न नहीं किया गया। मेरा स्वास्थ्य ऐसा नहीं है कि मैं न्यायालय में आकर इसलिए बिना किसी दबाव में अपना शपथत्र तैयार कराकर कोर्ट में पेश कर रहा हूं। ताकि कोर्ट को सही तथ्यों को जानकारी हो सके। शपथपत्र दाखिल होने के कुछ ही दिनों बाद ही पद्म की मौत हो गई।
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