हाथरस (HATHRAS) के चंदपा थानाक्षेत्र स्थित गांव बूलगढ़ी की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसकी मौत भी हमले की वजह से हुई थी। इस बहुचर्चित कांड की सीबीआइ (CBI) ने हाथरस के विशेष न्यायालय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम में सीबीआइ की जांच अधिकारी सीमा पाहूजा ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। पूरे दिन न्यायालय में कड़ी सुरक्षा और गहमागहमी रही। चार्जशीट करीब दो हजार पन्नों की है। अब इस मुकदमे की अगली सुनवाई चार जनवरी 2021 को होगी।
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हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले में शुक्रवार को जब सीबीआई ने चार्जशीट दायर की तो पीड़िता की भाभी सिसकते हुए बोलीं कि, ‘उनकी ननद का अंतिम बयान व्यर्थ नहीं गया.’ सीबीआई ने सभी चारों आरोपियों संदीप, रवि, रामू और लव-कुश के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए हैं. जांच एजेंसी ने इन आरोपियों के खिलाफ हत्या, रेप, गैंगरेप, एससी/एसटी एक्ट सहित तमाम धाराओं में चार्जशीट दायर की है. #HathrasTruthPrevails
चार्जशीट का प्राथमिक आधार
गैंगरेप पीड़िता ने 22 सितंबर को अपनी मौत से पहले बयान में बताया था कि उनके साथ रेप हुआ जो सीबीआई की दो हजार पेज के चार्जशीट का प्राथमिक आधार बना. भावुक परिवार ने सीबीआई चार्जशीट के नतीजे पर थोड़ी राहत की सांस ली. पीड़िता के भैया बोले, ‘हम जानते हैं कि इससे हमारी बहन वापस नहीं आ जाएगी लेकिन यह ऐसा है जिससे हमें खुशी नहीं मिलेगी, मगर इसे ऐसे देखें कि कम से कम हम जो बोल रहे थे वो सही था.’
‘विश्वास नहीं होता कि वह अब नहीं है’
वहीं पीड़िता की मां घर के बरामदे के कोने में रोती हुई दिखीं. उनके घर के बाहर लगे टेंट में CRPF के कम से कम 80 जवान तैनात दिखे. पीड़िता का परिवार कथित उच्च जातियों के गांव में अकेला दलित परिवार है. रोती हुई मां कहती हैं, ‘मैंने सपना देखा कि वह चारपाई पर बैठकर चाय पी रही है. वह अब भी मेरे सपने में आती है. हमें अब भी विश्वास नहीं होता है कि वह अब दुनिया में नहीं है.’
भाभी बोलीं, ‘हम यह कहते रहे कि लड़कों ने उसकी इज्जत लूटी जबकि यूपी पुलिस ने हमें पहले दिन से परेशान किया. हम अपने रीति-रिवाजों में अविवाहित लड़की का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं, हम उसे दफनाते हैं.’
हाथरस गैंगरेप (Hathras gangrape) और हत्या के मामले ने तब तूल पकड़ा जब पुलिस ने आधी रात को जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था. जबकि परिजन शव को घर तक ले जाने के लिए बिलखते रहे. परिजनों का कहना है कि बिना उनकी सहमति के बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद गांव के माहौल में कोई बदलाव नहीं आया है, पीड़ित परिवार का कहना है कि, ‘उनका (अपर कास्ट) रुख हमारे प्रति अब भी बदला नहीं है. अब भी पहले जैसा ही है.’
हमें लड़ते रहना है
सिसकते हुए पीड़िता की भाभी कहती हैं, “मेरे अपने परिवार में तीन बेटियां हैं, यह लड़ाई अब उनके लिए है. कोई भी कभी भी नहीं जान पाएगा कि हम उसे (ननद को) कितना याद करते हैं. लेकिन अब हमें लड़ते रहना है. यह एक शुरुआत है. हर किसी ने हम पर उंगलियां उठाईं. पुलिस, जिलाधिकारी सभी ने डराया, धमकाया. हम फिर कभी इस तरह से प्रताड़ित नहीं होना चाहते.”
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