Maharashtra News: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे और आसपास के शहरों में फैली दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre syndrome) नाम की संदिग्ध बीमारी से रविवार को पहली मौत हो गई. बताया जा रहा है कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बीमारी के चलते अपनी जान गंवा दी है. Guillain Barre syndrome
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मामलों की संख्या 100 के आंकड़े को पार कर गई। सोलापुर से भी एक संदिग्ध की जीबीएस के कारण मौत होने की सूचना मिली है। महाराष्ट्र के सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसके तंत्रिका संबंधी विकार ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ से पीड़ित होने का संदेह था। इसकी जानकारी स्वास्थ्य अधिकारी के हवाले से सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित को पुणे में संक्रमण हुआ और बाद में वह सोलापुर पहुंचा।
मरीजों का होगा मुफ्त में इलाज- अजित पवार
पुणे में बढ़ रहे गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों को लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार ने बड़ा एलान किया है। उन्होंने कहा कि बीमारी से पीड़ित मरीजों का अब मुफ्त इलाज होगा। मरीजों को दवाएं मुहैया कराने के लिए भी सरकार ने फैसला लिया।
वेंटिलेटर सपोर्ट पर
सोलापुर मामले के अलावा, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे ग्रामीण और कुछ पड़ोसी जिलों में जीबीएस के संदिग्ध 18 अन्य लोगों की भी पहचान की है। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 101 मरीजों में से 16 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इनमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं।
कब होती है GBS बीमारी?
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रविवार तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा बीमार लोगों को ढूंढना और जीबीएस मामलों में वृद्धि के लिए ट्रिगर का पता लगाना है।
बताया गया कि जीबीएस का इलाज काफी महंगा है। हर इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है। जीबीएस तब होता है जब शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम सहित बैक्टीरिया वायरल संक्रमण पर प्रतिक्रिया देते वक्त दिमाग के संकेतों को ले जाने वाली नसों पर गलती से हमला करती है।
लिए गया कुएं के पानी का सैंपल
डॉ. भोसले ने कहा, इसके अलावा, मैंने सभी निजी अस्पतालों में चार सहायक चिकित्सा अधिकारियों को तैनात करने का निर्देश दिया है, जो सभी चीजों की निगरानी करेंगे और मरीजों और उनके रिश्तेदारों की जो भी जरूरतें होंगी, उन्हें पूरा किया जाएगा। मैं उन सभी स्रोतों पर गया था, जहां से कुएं के पानी को पंप किया गया है और हमने इसका परीक्षण किया है… चूंकि हम मरीज की पहचान कर रहे हैं, इसलिए हम सभी नागरिकों से पानी उबालकर पीने और फिर उस तरह के पानी का सेवन करने के लिए कह रहे हैं। घबराने की कोई बात नहीं है।
गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात का कारण बन सकता है। हाथों और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी आमतौर पर पहले लक्षण होते हैं। ये संवेदनाएं तेजी से फैल सकती हैं और पक्षाघात का कारण बन सकती हैं। इस स्थिति वाले अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है। गिलियन-बैरे सिंड्रोम दुर्लभ है, और इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है।
पीएमसी कमिश्नर डॉ राजेंद्र भोसले ने कहा…
रविवार को एएनआई से बात करते हुए, पीएमसी कमिश्नर डॉ राजेंद्र भोसले ने कहा, इस समय, पुणे नगर निगम क्षेत्र में लगभग 64 मरीज हैं। इनमें से 13 वेंटिलेटर पर हैं। 5 मरीजों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है। जो लोग गरीब हैं और इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, उनके लिए हमारे पास ‘सेहरी गरीब योजना’ है।
अधिकारी ने आगे बताया कि पीएमसी ने चार सहायक चिकित्सा अधिकारियों को निजी अस्पतालों की स्थिति पर नजर रखने तथा मरीजों और उनके परिजनों की जरूरतों और आवश्यकताओं में सहायता करने का निर्देश दिया है।
डॉ. भोसले ने बताया कि पीएमसी की टीमें विभिन्न स्रोतों से पानी का परीक्षण कर रही हैं। उन्होंने बताया कि निवासियों को पानी उबालकर पीने को कहा गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की सलाह
स्वास्थ्य विभाग को 9 जनवरी को पुणे के अस्पताल में भर्ती एक मरीज पर इस क्लस्टर के अंदर पहला जीबीएस मामला होने का संदेह है। परीक्षणों से अस्पताल में भर्ती मरीजों से लिए गए कुछ नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है। इससे पहले शनिवार को प्रशासन द्वारा जारी किए गए परीक्षण के नतीजों से पता चला था कि पुणे में पानी के मुख्य सोत्र खडकवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया ई कोली का हाई-लेवल है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि कुएं का उपयोग किया जा रहा था या नहीं। लोगों को सलाह दी गई है कि वे पानी को उबाल लें और खाने से पहले उसे गर्म कर लें।
फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की भी मौत का कारण
यह बीमारी अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट (franklin d. roosevelt) की भी मौत का कारण बनी थी. दरअसल, रूजवेल्ट को इस बीमारी के चलते लकवा हुआ था. उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था. लेकिन उस समय कहा गया कि रूजवेल्ट की मौत पोलियो से हुई है. लेकिन बाद में रिसर्च से सामने आया कि उनकी मौत का कारण गुलेन बैरी सिंड्रोम ही था.