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खेमका ने अपने ही आदेशों के खिलाफ दाखिल याचिका पर खुद रखा सरकार का पक्ष, हाईकोर्ट का चीफ सेक्रेटरी से जवाब तलब
खेमका को हाईकोर्ट की फटकार, अपने किए काम का खुद जज बनने का लगता है प्रयास
JAIHINDTIMES CHANDIGARH
हरियाणा खेल विभाग के प्रधान सचिव द्वारा जगमिंदर सिंह को भारतीय महिला हैंडबॉल टीम के चीफ कोच के तौर पर ज्वाईन करने से रोकने के आदेशों पर PUNJAB AND HARYANA HIGH COURT द्वारा लगाई गई रोक को हटाने के लिए अर्जी दाखिल करना अशोक खेमका को भारी पड़ गया। खेमका ने अपना पक्ष रखने के लिए प्राईवेट काउंसिल हायर किया था और राज्य सरकार का भी पक्ष रखा था। इस बारे में एजी ऑफिस को कोई जानकारी तक नहीं थी। इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि एक सरकारी अधिकारी से इस प्रकार की अपेक्षा नहीं रखी जाती कि वह इस प्रकार का कार्य करे। कोर्ट ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर इस बारे में सफाई देने केआदेश दिए हैं।
मामले में जगमिंदर ङ्क्षसह ने याचिका दाखिल करते हुए याची ने कहा था उसने 1983 में विभाग में कोच के तौर पर ज्वाईन किया था और मई 2017 में वह डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर रिटायर हो गए थे। विभाग ने उन्हें इसके बाद री एम्पलॉयमेंट दी। हाल ही में हंैडबॉल फैडरेशन ऑफ इंडिया ने उन्हें भारतीय महिला हैंडबॉल टीम का चीफ कोच डेजिगनेट किया था।
याची ने कहा कि 31 मार्च से साऊथ एशियन वूमन हैंडबॉल चैपिंयनशिप होने जा रही है और इसके बाद अगस्त में एशियन गेम्स होने हैं। भारत को रिप्रेजेंट करने वाली टीम में पांच खिलाड़ी हैं जिनमें से चार को उन्होंने खुद ट्रेंड किया है जो हरियाणा से हैं। याची ने मार्च में हरियाणा सरकार से कहा कि उसे कोचिंग कैंप में हिस्सा लेने दिया जाए। साथ ही लैटर भी दिखाया गया जिसमें साफ था कि पूरा खर्चा फेडरेशन वहन करेगी। प्रिंसीपल सेक्रेटरी ने इसे नामंजूर करते हुए उन्हें अनफिट करार दे दिया। साथ ही उन्हें रिलीव करने केआदेश जारी कर दिए।
याची ने कहा एक ओर उसे देश की सेवा के लिए बुलाया जा रहा है और दूसरी ओर उसे हरियाणा सरकार हतोत्साहित कर रही है। हाईकोर्ट ने पिं्रसीपल सेक्रेटरी के आदेशों पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया था। इसपर खेमका ने एक निजी वकील के माध्यम से स्टे हटाने की अर्जी दाखिल की थी। इस अर्जी पर सुनवाई आरंभ हुई तो याची पक्ष के वकील ने इसपर आपत्ति दर्ज की। याची ने कहा कि एजी ऑफिस को पता तक नहीं है कि इस प्रकार की कोई अर्जी दाखिल की गई है।
इसपर हाईकोर्ट हैरानी जताते हुए कहा कि
कैसे एक जिम्मेदार अधिकारी इस तरह का काम कर सकता है। इस मामले में उनके आदेशों को चुनौती दी गई है और ऐसे मेंं वे खुद ही सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर रहे हैं और अपने किए काम का खुद जज बनने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि उन्हें आदेशों से कोई दिक्कत थी तो प्रोपर चैनल का इस्तेमाल करते और चीफ सेक्रेटरी या अन्य अधिकारियों के संज्ञान में इस मामले को लाते।
चाहते तो मिनिस्टर के संज्ञान में लाते और कानूनी प्रक्रिया के तहत अर्जी दाखिल करते। यादि अपना पक्ष अलग रखना था तो अपनी अर्जी में सरकार का पक्ष शामिल नहीं करना चाहिए था।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार के वकील को आदेश दिया कि वे इस मामले को मुख्य सचिव के संज्ञान में लाएं और अगली सुनवाई पर बताएं कि क्या वे खेमका द्वारा दिए गए हलफनामे का समर्थन करते हैं या नहीं। इसके साथ ही यह बताया जाए कि जिस प्रकार अर्जी दाखिल की गई है क्या वह नियमों के अनुरूप सही है या नहीं। साथ ही याचिका में जिन आदेशों को चुनौती दी गई है उसे सीनियर अधिकारियों के ध्यान में लाया गया था या नहीं। हाईकोर्ट के इन आदेशों के बाद अशोक खेमका की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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