#HIGH COURT SAID: इलाहाबाद हाईकोर्ट (HighCourt) ने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है। दो बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से साथ रहने का संवैधानिक अधिकार (Constitutional right) है। उनके जीवन में किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप (Live In Relationship) में रह रहे याचियों के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज एफ आईआर (FIR) को रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने आकाश राजभर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के शाफिन जहां बनाम अशोकन के एम व अन्य केस के फैसले के अनुसार दर्ज प्राथमिकी रद करने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि…
किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बिना कानूनी प्राधिकार से छीनी नहीं जा सकती। बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का सांविधानिक अधिकार है। सरकार का दायित्व है कि वह उनके इस अधिकार की सुरक्षा करे। बालिगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने तथा साथ रहने का अधिकार है। उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
गैस के कारण भी हो सकता है पीठ दर्द, घरेलू उपाय
सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल
सर्दी में मास्क लगाना क्यों है जरूरी पढ़ें पूरी खबर
बाबा बिरयानी के मुख्तार बाबा, बैंक मैनेजर समेत 12 पर मुकदमा
बकायेदार संपर्क करें, नहीं तो कट जाएगी बिजली, आ रहा मैसेज
भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ था रुद्राक्ष, जानें
जनवरी से दिसंबर माह तक पड़ रहे हैं कौन-कौन से व्रत त्योहार, लिस्ट