RAHUL PANDEY
इलाहाबाद हाईकोर्ट (HIGH COURT) ने कहा है कि एक बार चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पद खाली होता है तो प्रतीक्षारत को नियुक्त नहीं किया जा सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मशकूर हसन की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट में याची ने एकल पीठ के प्रतीक्षारत की नियुक्ति पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी।
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कोर्ट (COURT) ने कहा रानी अवंतीबाई इंटर कॉलेज मरहरा, एटा के प्रधानाचार्य का पद 2011 में खाली हो गया। विवाद मेरिट लिस्ट के प्रथम व द्वितीय अभ्यर्थी के बीच था। तीसरा अभ्यर्थी याचिका में पक्षकार नहीं था। संयुक्त निदेशक द्वारा उसे 2021 में नियुक्ति देना सही नहीं है।
मामले में 2002 में इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य की भर्ती निकाली गई। 29 सितंबर 2003 को चयन सूची जारी की गई। डॉ. दिनेश वशिष्ठ प्रथम, सुधीर कुमार गुप्ता द्वितीय व मशकूर हसन तीसरे स्थान पर रहे। डॉ. दिनेश वशिष्ठ की नियुक्ति को सुधीर कुमार गुप्ता ने चुनौती दी। याचिका अभी भी लंबित है।
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दिनेश सेवानिवृत्त हो गए। सुधीर ने नौकरी छोड़ दी। मशकूर हसन ने कहा, अब वही अकेले बचे हैं। उनकी नियुक्ति की जाए। हाईकोर्ट ने संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा अलीगढ़ को विचार करने का निर्देश दिया। जिस पर 26 जून 2021 को नियुक्ति दे दी गई। कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस आदेश को चुनौती दी गई।
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एकलपीठ ने नियुक्ति आदेश पर रोक लगा दी है, जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि दिनेश वशिष्ठ ने 2011 में पद छोड़ दिया। अपने पुराने कॉलेज वापस चले गए। 31 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त भी हो गए। उसके 10 साल बाद वेटिंग लिस्ट से नियुक्ति विधि सम्मत नहीं है।