RAHUL PANDEY
अब बच्चा गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) अनिवार्य नहीं है। इसके साथ ही कोई एकल माता-पिता भी हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम, 1960 के तहत बच्चा गोद ले सकते हैं। साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया में शादी को रजिस्टर्ड कराने की भी आवश्यकता नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (HIGH COURT) ने यह अहम आदेश सोमवार को एक सुनवाई करते हुए दिया।
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12 साल पहले की थी शादी
दरअसल, एक ट्रांसजेंडर ने एक पुरुष के साथ 12 साल पहले शादी की थी। इसके बाद उन्होंने बच्चा गोद लेने का निर्णय लिया। गोद लेने की प्रक्रिया में उन्हें बताया गया कि उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी। इसके लिए उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम का हवाला दिया गया।
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इस पर दंपती ने दिसंबर 2021 में वाराणसी में हिंदू विवाह के उप रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन ट्रांसजेंडर से शादी होने के कारण रजिस्ट्रेशन में दिक्कत हुई। इस पर दोनों ने हाईकोर्ट का रुख किया।
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रजिस्ट्रार के यहां किया था आवेदन
दंपती ने याचिका में वाराणसी में हिंदू विवाह के उप रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। जस्टिस डॉक्टर कौशल जयेंद्र ठाकुर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति और उसके पति की याचिका पर सुनवाई की।
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मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं
खंडपीठ ने कहा कि बच्चे को गोद लेने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं है। हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 7 और 8 के अनुसार दत्तक ग्रहण करने के लिए शादी या शादी के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है।
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