CHANDIGARH
#HighCourt : पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में चंडीगढ़ प्रशासन (Chandigarh Administration) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण के लिए टेंडर जारी किए थे। हाई कोर्ट (HighCourt) के जस्टिस जितेंद्र चौहान एवं जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने यह आदेश यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं।
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चंडीगढ़ के बिजली विभाग (Electricity Department) के निजीकरण करने के फैसले और इसके लिए जारी टेंडर को यूटी पावरमैन यूनियन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। याचिका पर हाई कोर्ट ने बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले और इसके लिए जारी टेंडर पर अगली सुनवाई तक रोक लगाते हुए केंद्र सरकार सहित चंडीगढ़ प्रशासन और बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। दायर याचिका में हाई कोर्ट (HighCourt) को बताया गया है कि चंडीगढ़ में बिजली उसके पडोसी राज्यों की तुलना काफी सस्ती है। बावजूद इसके चंडीगढ़ का बिजली विभाग लगातार मुनाफे में है। इसके बावजूद शहर के बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है, जोकि सही नहीं है। हाई कोर्ट को बताया गया है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 17 अप्रैल को एक पत्र जारी कर बिजली विभाग के निजीकरण के लिए प्रस्ताव मांगे थे। पांच जून को याचिकाकर्ता ने अपने सुझाव देते हुए कहा था कि शहर का बिजली विभाग बेहतर काम कर रहा है। 10 जून को गठित की गई थी कमेटी
इसके बाद छह जून को ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने चंडीगढ़ के प्रशासक को रिप्रजेंटेशन दे शहर के बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी थी। इसके बाद 10 जून को केंद्र सरकार ने देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभाग के निजीकरण के लिए एक ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया था। यूनियन ने रिप्रेजेंटेशन देते हुए दर्ज करवाया था विरोध
याचिकाकर्ता यूनियन ने छह जुलाई को प्रधानमंत्री को रिप्रजेंटेशन देते हुए इसका विरोध दर्ज करवा दिया। इसके बाद 17 जुलाई को ऊर्जा सचिव को भी रिप्रजेंटेशन दे दी गई। इसके बाद फिर दो सितंबर को रिप्रजेंटेटिव देते हुए शहर के बिजली विभाग के निजीकरण के निर्णय और इसके लिए जारी किए जाने के वाले टेंडर को वापस लिए जाने की मांग की। इन सबके बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन (Chandigarh Administration) ने 10 नवंबर को एक पब्लिक नोटिस जारी कर शहर के बिजली विभाग को निजी हाथों में देने के लिए निजी कंपनियों से बोली मंगवा ली। याचिकाकर्ता यूनियन ने अब इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद किए जाने की मांग की है।