RAHUL PANDEY
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में कितने ऐसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां एक भी छात्र नहीं पढ़ रहा है। कोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों की खस्ता हालत और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी सरकार से जानकारी मांगी है। मामले की सुनवाई कर रही दो जजों की खंडपीठ ने यह आदेश नंदलाल की जनहित याचिका पर दिया है।
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हिंदी भी शुद्ध नहीं है…
याचिका में प्रयागराज के दारागंज स्थित उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय सहित कई विद्यालयों की बदहाल स्थिति का हवाला दिया गया है। मामले में प्रतिपक्षी खंड शिक्षाधिकारी की एक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट (COURT) को बताया गया है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में एक भी छात्र नहीं है, ऐसा अध्यापकों व शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण है। इसी प्रकार अन्य विद्यालयों में शिक्षा का स्तर काफी खराब है। कई शिक्षकों को कक्षा चार के स्तर की अंग्रेजी भी नहीं आती है। विज्ञान के फॉर्मूले मालूम नहीं हैं। हिंदी भी शुद्ध नहीं है।
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कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए…
याची की ओर से कहा गया कि विद्यालयों की दुर्दशा के कारण अभिभावक अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में नहीं भेज रहे हैं जिससे छात्रों की संख्या शून्य हो गई है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से पूरे प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का रिकॉर्ड मांगा है।
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