Hindu Religion : रामायण से महाभारत काल तक के कुछ महत्वपूर्ण पात्रों को चिरंजीवी (अमर) कहा जाता है। यह मानते हैं कि वे आज भी पृथ्वी पर हैं। आइए जानते हैं कि किसे आशीर्वाद और किसे श्राप के रूप में मिली अमरता। Hindu Religion
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हनुमान जी
रामायण के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं हनुमान जी। उन्हें प्रभु श्री राम के प्रति उनकी निरंतर भक्ति और निष्ठा का श्रेय मिलता है। जब हनुमान रामजी का संदेश लेकर अशोक वाटिका में माता सीता के पास पहुंचे, तो माता सीता प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का आशीर्वाद दिया। जब देवता स्वर्ग वापस लौट रहे थे, तो श्री राम ने हनुमान जी से कहा कि वह पृथ्वी पर ही रहें और यह सुनिश्चित करें कि पृथ्वी पर सब ठीक चल रहा है। Hindu Mythology
महाभारत सहित कई ग्रंथों के रचयिता वेद व्यास भी अमर पात्रों में से एक हैं। वह ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। उन्होंने महाभारत के अलावा चार वेदों: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की भी रचना की है। वेद-व्यास को अमरता का वरदान दिया गया था क्योंकि वे कलियुग में सही आचरण और व्यवहार का ज्ञान लोगों के बीच फैलाना चाहते थे।
विभीषण
रामायण के पात्र विभीषण भी रामायण के एक पात्र हैं, जो श्री राम के भक्त हैं। रावण का भाई होते हुए भी उन्होंने राम के प्रति अपनी भक्ति नहीं छोड़ी। उनकी इसी भक्ति के चलते उन्हें भगवान राम से अमरता का आशीर्वाद मिला था। साथ ही भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के बाद सोने की लंका भी विभीषण को ही सौंप दी थी।
परशुराम
भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। वह एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ था। वे शिव भगवान के निरंतर भक्त थे। परशुराम की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ही उनको जीवन भर रहने का आशीर्वाद दिया था। परशुराम के बारे कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण पात्र रहे हैं, उन्हें अमरता वरदान के रूप में नहीं बल्कि एक श्राप के रूप में मिली थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों की हत्या कर दी थी, जिस कारण उन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने उनके माथे पर लगी मणि लेकर यह श्राप दिया कि दुनिया के अंत तक इसी घाव से पृथ्वी पर भटकते रहेंगे।
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