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SAWAN : हिंदू शास्त्रों में किसी भी देवी देवता को प्रसन्न करने या किसी भी अनुष्ठान के लिए दीपक का विशेष महत्व माना जाता है. पूजा के दौरान अलग-अलग साधना के लिए विभिन्न दीपक का प्रयोग किया जाता है जैसे मिट्टी का दीपक, आटे की दीपक, तांबे का दीपक, चांदी का दीपक, लोहे का दीपक, पीतल या सोने की धातु का दीपक इत्यादि.
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किसी भी अनुष्ठान को शुरू करने से पहले दीपक को जलाया जाता है. सनातन धर्म में किसी भी अनुष्ठान की सफलता उस दौरान वहां जलाए जाने वाले दीपक पर निर्भर करती है.
आइए जानते हैं किस परेशानी से मुक्ति पाने के लिए किस दीपक का प्रयोग करना चाहिए.
लंबी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए
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जन्म कुंडली में लग्न और लग्नेश की स्थिति ठीक ना होने की वजह से अक्सर व्यक्ति बीमार पड़ जाते हैं.
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लग्न और लग्नेश को पीड़ित करने में राहु, केतु और शनि की अहम भूमिका मानी जाती है.
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श्रावण मास में राहु केतु शनि को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव के नमः शिवाय मंत्र का प्रदोष काल में जाप करें.
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शनि को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग के समीप तिल के तेल का एक दीया प्रज्वलित करें और शं मंत्र का 108 बार जप करें.
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राहु और केतु की प्रसन्नता के लिए भगवान शिव के मंदिर में अलसी के तेल का एक दीया जलाएं.
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अगर जन्म कुंडली मे मंगल (नीच) कर्क राशि मे स्थित हो या लग्नेश छठे भाव मे पीड़ित हो तो अक्सर लोगों से लड़ाई झगड़ा बिना कारण होने लगता है.
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मंगल केतु की युति भी व्यक्ति को अक्सर लोगो से झगड़ा करवाती है.
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मंगल राहु केतु शनि आदि पापी ग्रहों को शांत करने के लिए भगवान भैरव या भगवान भोलेनाथ की उपासना करें.
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आटे में गंगाजल मिलाकर उसका दीया बनें. उसमें सरसों का तेल भरकर उसमें कलावे की 4 बाती लगाकर प्रार्थना करते हुए दीया जलाएं.
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कार्य सिद्ध होने पर भगवान भैरव को इमारती का भोग लगाकर बाटें और ॐ मन्त्र का 27 बार जाप करें.
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नौकरी और व्यापार में सफलता के लिए
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नौकरी और व्यापार के लिए जन्म कुंडली में सूर्य बृहस्पति शनि बुध की स्थिति उत्तम होना परम आवश्यक है.
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यदि शनि नीच का हो और राहु से युति करें तथा दशम भाव मे बैठे या दशम भाव पर दृष्टि डाले तो नौकरी करने में परेशानी आती है.
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नौकरी से संबंधित सभी परेशानियों को दूर करने के लिए शनिवार की शाम पीपल के वृक्ष की जड़ में सरसों के तेल का चौमुखा दिया प्रज्वलित करें.
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व्यापार में सफलता के लिए भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर में गाय के शुद्ध घी का दीया सुबह के समय जलाकर लाल गुलाब के फूल भगवान को अर्पित करें.
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ॐ श्रीं श्रीये नमः मन्त्र का 108 बार जाप करें
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