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Arti Pandey
Chandigarh
पिता द्वारा प्रोपर्टी से निकाले जाने के खिलाफ दाखिल बेटे की अपील पर सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि इस प्रकार की याचिकाओं से वे बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा कि मैं अयोध्या से हूं जहां पिता के कहने पर राम वन चले गए, लक्ष्मण बिना कहे राम केसाथ हो लिए और राज पाने वाले भरते ने बड़े भाई के लिए गद्दी 14 साल खाली रखी। कोर्ट ने कहा कि आज जिस प्रकार की स्थिति बनी है इसे देखकर वे बेहत आहत हैं।
याचिका दाखिल करते हुए मोहाली निवासी याचिकाकर्ता ने पिता द्वारा घर से निकाले जाने के आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस मकान से उसके पिता ने उसे निकाला है वह असल में उसने खरीदा था और ऐसे में उसको उस मकान से नहीं निकाला जा सकता। इसपर कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले यह बताया जाए कि इस प्रोपर्टी का टाईटल किसके नाम पर है। इसपर याची ने बताया कि मकान के मालिक के तौर पर उसके पिता का नाम दर्ज है। हालांकि याची ने कहा कि यह प्रोपर्टी उसने खरीदी थी और इसलिए यह उसकी है। इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि प्रोपर्टी का विवाद सिविल सूट दाखिल कर निपटारा जाए। कोर्ट को बताया गया कि पहले ही सिविल सूट दाखिल किया जा चुका है जो फिलहाल लंबित है। इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि यह परिवार के बीच का विवाद है और इसे निचली अदालत में सिविल सूट के माध्यम से ही निपटारा जा सकता है। इस मामले में हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं दी जा सकती। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह बाप बेटे को प्रोपर्टी के लिए लड़ते देख कर और आज के समाज की स्थिति को देखकर आहत हैं। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि वह अयोध्या से आएं हैं जहां पिता के कहने पर राम बिना कुछ पूछे 14 साल के लिए वन चले गए थे, लक्ष्मण उनके साथ निस्वार्थ हो लिए थे तथा बड़े भाई के सम्मान में 14 साल तक भरत ने राज सिंहासन नहीं संभाला। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया
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