विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट (Court) ने राज्य सरकारों (State governments) के लिए एक आदेश दिया है जिसमें यह स्पष्ट किया कि राज्य चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र शख्स होना अनिवार्य है। साथ ही यह भी कहा कि राज्य में ऐसे किसी शख्स को नियुक्त नहीं किया जा सकता जो सत्तारूढ़ सरकार के अंतर्गत किसी पद पर कार्यरत हो। कोर्ट (Court) के अनुसार, राज्य सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त (Election commission) नियुक्त करना भारत के संविधान के खिलाफ है।
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संविधान के खिलाफ है
कोर्ट ने कहा कि सरकार में किसी पद को संभाल रहे व्यक्ति को राज्य चुनाव आयुक्त (State Election Commission) का अतिरिक्त प्रभार सौंपना संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि गोवा में जिस तरह ये राज्य चुनाव आयुक्त का पद सरकार के सचिव को दिया गया है वह काफी परेशान करने वाला है। एक सरकारी कर्मचारी, जो सरकार के साथ रोजगार में था, गोवा में चुनाव आयोग का प्रभारी है। सरकारी अधिकारी ने पंचायत चुनाव कराने के संबंध में हाई कोर्ट के फैसले को पलटने का प्रयास किया।
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बता दें कि आज कोर्ट ने गोवा सरकार के सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने के मामले पर सुनवाई कि और यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा जो व्यक्ति सरकार में कोई पद संभाल रहा हो उसे राज्य के चुनाव आयुक्त का पद कैसे दिया जा सकता है। मामले की सुनवाई जस्टिस आरएफ नरीमन ने की। उन्होंने गोवा सरकार पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव आयोग (Election commission) की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता।