RAHUL PANDEY
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. इस कॉरिडोर का उद्घाटन करने से पहले पीएम मोदी ने बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) का जलाभिषेक किया था. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री (PM Modi) के हाथों पूजन संपर्क कराया था. अब इस कॉरिडोर के उद्घाटन पर सवाल उठने लगे हैं. आरोप लगा है कि सूतक काल में पीएम मोदी के हाथों पूजन संपन्न कराया गया. अब इन आरोपों के को लेकर जांच अब शुरू कर दी गई है.
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मंदिर के पूर्व न्यासी ने लगाया आरोप
मंदिर के पूर्व न्यासी प्रदीप बजाज ने प्रधानमंत्री और उनके प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री और यूपी के धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी को मेल भेज कर मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र के सूतक में रहते प्रधानमंत्री से धार्मिक कर्मकांड व पूजन कराने का आरोप लगाया था. यह मामला तूल पकड़ा तो मंदिर प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में प्रकरण की जांच शुरू करा दी गई है.
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जिला प्रशासन से मांगी गई रिपोर्ट
प्रदीप बजाज ने कहा कि 5 दिसंबर को पंडित मिश्र के भतीजे की मौत हुई थी. वहीं, धर्म शास्त्र के अनुसार, सूतक काल में मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं, मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर रोक होती है. ऐसे में पंडित द्वारा पूजा करना गलत था. बताया जा रहा है कि धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने पूरे केस की रिपोर्ट जिला प्रशासन से मांगी है. इसी के साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य कार्यपालक को दी है.
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जानिए क्या होता है सूतक काल?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि किसी के घर में सगे-संबंधी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके घर पर सूतक लग जाता है. मृत्यु से 13 दिन (तेरहवीं) तक सूतक काल लगा रहता है. इस समय अवधि में व्यक्ति किसी के घर नहीं जा सकता. यइस समय देव पूजा कर्म और देव स्पर्श नहीं किया जाना चाहिए. इस दौरान मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए पितृ कर्म करने का विधान बताया गया है. धर्म ग्रंथों में सूतक को लेकर काफी विस्तार से बताया गया है.