Online Gaming : हिमांशु मिश्रा (Himanshu Mishra)… एक नाम जो आज सोशल मीडिया पर खूब चर्चाओं में है। वजह इसके पीछे यह है कि ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) में फंसकर 96 लाख रुपए गंवाने का दावा किया। Online Gaming
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उसने यह भी कहा कि उसने IIT-JEE में 98% स्कोर किया। पैसा गंवाने के बाद परिवार ने उसे खुद से अलग कर दिया। दिल्ली में एक पब्लिक के बीच हुए न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम में हिमांशु ने यह दावा किया।
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इसके बाद रातों रात वह सोशल मीडिया पर छा गया। तमाम चैनल और पॉडकास्ट इंटरव्यू में नजर आया। रो-रोकर अपनी कहानी बयां की। हिमांशु ने खुद को बिहार का बताया। जबकि वह कानपुर का रहने वाला है। उन्होंने दावा किया कि वह फ्रॉड है।
हिमांशु फ्रॉड है…
कानपुर के काकादेव में रहने वाले कारोबारी अक्षय त्रिवेदी यह दावा किया कि हिमांशु मिश्रा जैसा दिखता है, वैसा है नहीं। जब यह वायरल हुआ, तो मैंने इसे एक झटके में पहचान लिया।
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अक्षय बताते हैं- एक महीने पहले अगस्त की बात है। मैं नीरक्षीर चौराहे पर किसी काम से गया था। दोपहर के करीब 2.30 बजे थे। तभी हिमांशु मेरे पास कुछ पेन लेकर आया। बोला- भैया खरीद लो। तब भी वह रो रहा था। एक लड़के को ऐसे रोते देख मैंने उससे जानकारी जुटाई। पूछा कहां के रहने वाले हो, तब उसने बताया कि बिहार के गया का रहने वाला हूं। पढ़ना चाहता हूं, घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं है।
अक्षय ने बताया- उसने मुझसे कहा कि मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया है। मैं पहले उस सके बाद उसने मुझसे कहा कि मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया है। इसके बाद मैं उसे एक ढाबे पर ले गया। यहां उसे खाना खिलाया और वहीं उसके रहने का प्रबंध भी कर दिया। मैंने उससे यह भी कहा कि तुम पढ़ना चाहते हो, तो तुम्हारी मदद करूंगा। लेकिन, कुछ दिन बाद वो वहां से चला गया।
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कानपुर के गुजैनी का रहने वाला है
अक्षय ने काकादेव के श्री बालाजी भोजनालय ढाबे में हिमांशु को रोका था। इसके संचालक पंकज यादव हैं। पंकज ने हमें बताया- हिमांशु हमारे पास आया। उसने मुझसे कहा कि फ्री में नहीं रहूंगा। काम दे दीजिए। वो खुद बहुत लाचार दिखा रहा था। थोड़ी-थोड़ी देर में रोने लगता और कहता भैया मुझे पढ़ना है।
उसे देखकर ऐसा लगा कि सच में उसके अंदर पढ़ने की जिज्ञासा है। इसलिए मैंने उसका SSC की कोचिंग में फ्री में एडमिशन करा दिया। अपने ढाबे में रहने की जगह भी दे दी। वो हमारे यहां 4 दिन रहा। इसके बाद चला गया।
पंकज ने बताया- हमारे ढाबे के कमरे में उसकी एक किताब छूट गई थी। इसमें उसका आधार कार्ड मिला। जब मैं उससे फोन नंबर पूछता, तो कहता था कि फोन बेचकर मैंने किताबें खरीदी हैं। हिमांशु जो आज वायरल है, वो जो कुछ कह रहा है, वो झूठ है। वो कानपुर के गुजैनी का रहने वाला है। आधार कार्ड से ऐसा ही पता चला।
हिमांशु के पिता का नाम कौशल किशोर मिश्रा है
किताब में निकले आधार कार्ड में गोविंद नगर थाना एरिया के गुजैनी का पता निकला। इसका मकान नंबर- आई ब्लॉक 203 था। हम इस पते पर पहुंचे। इस मकान में एक सिंधी परिवार रह रहा है। उन्होंने ऑन कैमरा कुछ भी बोलने से मना कर दिया। लेकिन, बताया कि वो लोग 3 साल पहले ही यहां शिफ्ट हुए हैं। यह मकान उन्होंने दुर्गेश चौहान से खरीदा था। दुर्गेश का मकान भी पास में ही है।
उनसे मिली जानकारी के बाद हमने दुर्गेश चौहान से संपर्क किया। दुर्गेश बताते हैं- यह मकान 3 साल पहले कौशल किशोर मिश्रा से 8 लाख रुपए में मकान खरीदा था। कौशल किशोर अपनी फैमिली के साथ कानपुर देहात के अकबरपुर में शिफ्ट हो गए हैं। वहां उन्होंने नया मकान बनवाया है। दुर्गेश ने बताया कि कौशल किशोर के दो बेटे हैं। एक का नाम ईशू और दूसरे का नाम हिमांशु है। ईशू शादीशुदा है।
कानपुर में जिन लोगों ने उसकी मदद की सभी ने बताया कि वो जिस तरह से इंटरव्यू में लोगों के सामने खुद को प्रेजेंट कर रहा है, वो पूरी तरह झूठ है।
हिमांशु के पड़ोसियों ने क्या बताया… पड़ोसी बोले….
आरबी गुप्ता कहते हैं कि हमने टीवी पर देखा तो उसके बारे में पता चला। पिता दादानगर फैक्ट्री में गार्ड की नौकरी करते थे। मां घर का काम करती थीं। हिमांशु पढ़ने-लिखने वाला लड़का था। पता चला कि वो इस तरह बर्बाद हो गया। टीजन सिंह कहते हैं कि उसकी मां भी यहां प्राइवेट टीचिंग की नौकरी करती थी। बाद में पता चला कि परिवार बिहार चला गया। लेकिन उनका बड़ा लड़का ईशू अकबरपुर में नौकरी करता है। बड़े लड़के की शादी के बाद वो यहां मकान बेचकर चले गए। सुनने में आया था कि उनकी मां का निधन हो गया है।
SOURCE : Dainik Bhaskar