Jagannath Rath Yatra 2024 : ओडिशा के पुरी शहर में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) बहुत उत्साह से निकाली जाती है। भक्त दूर-दूर से इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं। यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है। Jagannath Rath Yatra 2024
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धार्मिक मान्यता है कि रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) में शामिल और प्रभु के दर्शन करने से साधक को पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथों पर सवार होकर नगर के भ्रमण करने के लिए निकलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इन रथ की खासियत और अन्य जानकारी।
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बलभद्र जी, बहन सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ परंपरागत रूप से अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। जहां उनका उत्साहपूर्ण स्वागत होता है वह मौसी के घर कुछ दिन रहकर पुनः अपने घर लौट आते हैं।
इस दिन से शुरू होगी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है।
रथ यात्रा का धार्मिक महत्व
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) देश के अलावा विश्वभर में बेहद प्रसिद्ध है। यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु अवतार माने जाते हैं। सनातन धर्म में आस्था का मुख्य केंद्र होने की वजह से इसका धार्मिक महत्व अधिक बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने से साधक को मरणोपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती है। यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु अधिक संख्या में आते हैं।
यात्रा में होते हैं 3 रथ
रथ यात्रा के लिए 3 रथ बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र अलग-अलग रथ पर सवार होते हैं। कहा जाता है कि इन रथों को 884 पेड़ों की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। सबसे खास बात दें कि इन रथों को बनाने के लिए किसी भी धातु और कील का प्रयोग नहीं किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिये होते हैं। रथ को शंखचूड़ रस्सी से खींचा जाता है।
इस दिन से शुरू होती है रथ के निर्माण की प्रक्रिया
भगवान जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) में शामिल होने वाले रथ को बेहद सुंदर तरीके से बनाया जाता है। रथ को बनाने के दौरान कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस रथ को बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से होती है। लकड़ियों की पूजा-अर्चना करने के बाद रथ का निर्माण कार्य शुरू होता है।
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इसलिए निकाली जाती है यात्रा
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई। ऐसे में भगवान जगन्नाथ ने उनको रथ पर बैठाकर नगर का भ्रमण कराया। यात्रा के दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए। जहां वह 7 दिन तक रुके। धार्मिक मान्यता है कि तभी से हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।
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अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। jaihindtimes यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।