श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था…
#Janmashtami : जन्माष्टमी त्यौहार हिंदू धर्म के मुख्य त्यौहारों में से एक है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार यह तिथि 12 अगस्त को पड़ रही है। हालांकि, नक्षत्र और तिथि एक साथ नहीं पड़ रहे हैं।
हर वर्ष पूरे देश में इस दिन को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारावास में हुआ था। उन्हें जन्म देने वाले देवकी और वासुदेव थे। लेकिन उनका लालन पोषण गोकुल में यशोदा और नन्द ने किया था। श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था।
पंडित ने बताया कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म क्यों हुआ था इसका वर्णन स्वयं लीलाधर ने गीता के श्लोक में किया है जो इस प्रकार है…
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युथानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।
परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
श्रीकृष्ण ने अपने अवतरित होने के कारण इसी श्लोक में बताया गया है। महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह बताया था कि जब जब धरती पर पाप बढ़ेगा और धर्म का नाश होगा। साधु-संतों का जीना मुश्किल हो जाएगा, उस समय भगवान विष्णु धर्म की पुनः स्थापना के लिए अवतरित होंगे।
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इसी बात का वर्णन तुलसीदास जी ने भी एक दोहे की चौपाई में किया है। यह दोहा इस प्रकार है…
जब जब होई धरम की हानि, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी, तब-तब प्रभु धरि विविध सरीरा, हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।
इस अर्थ है कि जब-जब धर्म का नाश होता है और राक्षस प्रवृत्ति के लोग बढ़ने लगते हैं तब तब कृपानिधान प्रभु अलग-अलग के दिव्य शरीर धारण कर लोगों की पीड़ा हरते हैं। प्रभु असुरों को मारकर देवताओं को स्थापित करते हैं।
कहा जाता है कि क्षत्रियों की शक्ति द्वापर युग में बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। ये देवताओं को चुनौती भी देने लगे थे। वहीं, हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष ने भी धरती पर जन्म लिया था। इन्हीं का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में अवतार लिया था।
तो चलिए जानते हैं वो दस अवतार जो भगवान विष्णु ने धारण किए थे…
मत्स्य
कूर्म
वराह
नरसिंह
वामन
परशुराम
राम
कृष्ण
बुद्ध
कल्कि (कलयुग में अवतार लेंगे)