कालाष्टमी व्रत- भैरव करेंगे बुरी नज़र से आपकी रक्षा
कल बुधवार दिनांक 06.05.18 को भैरव कालाष्टमी पर्व मनाया जाएगा। कहा जाता है कि भगवान भैरव से काल भी भयभीत रहता है इसलिए उन्हें कालभैरव भी कहते हैं। शिव पुारण के मुताबिक इसी दिन दोपहर में रुद्रावतार भैरव उत्पन्न हुए थे, जिस कारण इसे कालाष्टमी पर्व कहते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार अंधकासुर ने अधर्म की सीमा लांघ ली थी। घमंड में चूर अंधकासुर ने महादेव पर आक्रमण करने का दुस्साहस कर दिया। अंधकासुर के संहार के लिए रुद्र के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई।
एक प्रचलित किंवदंती के अनुसार पूर्व में ब्रह्मा पंचमुखी थे व ब्रह्मा पंचम वेद की रचना भी कर रहे थे। इसी विषय पर महादेव ने ब्रह्मा से वार्तालाप की परंतु न समझने पर महाकाल से उग्र, प्रचंड भैरव प्रकट हुए व उन्होंने नाखून के प्रहार से ब्रह्मा का पांचवा मुख काट दिया, इस पर भैरव को ब्रह्महत्या का पाप लगा।
एक और किंवदंती के अनुसार कालांतर में ब्रह्मा ने महादेव की वेशभूषा पर उनका उपहास किया। उसी समय रुद्र के शरीर से क्रोध में लिप्त प्रचण्ड दण्डधारी भैरव प्रकट होकर ब्रह्मा के संहार के लिए आगे बढ़ा। यह देख ब्रह्मा भय से चीख पड़े। महादेव ने उन्हें शांत कर उन्हें महाभैरव का नाम दिया। महादेव ने भैरव को काशी का नगरपाल बनाया। भैरव ने इसी तिथि पर ब्रह्मा के अहंकार को नष्ट किया था। इसीलिए लोग इस दिन काल अर्थात मृत्यु भय मुक्ति के लिए भैरव पूजन करते हैं।
नारद पुराण के अनुसार इस दिन महादेव के रुद्रावतार भैरव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कालाष्टमी के दिन भैरव व दुर्गा पूजन किया जाता है और इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।
पूजन मंत्र: ह्रीं भैरवाय नमः॥
उपाय
पारिवारिक समृद्धि के लिए भैरव पर अर्पित मौली घर के मेन गेट पर बांधे।
क्रूर ग्रहों के प्रभाव से छुटकारे के लिए भैरव पर अर्पित 4 इमरती कुत्तों को खिलाएं।
स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भैरव पर जायफल अर्पित करें।