Kanpur Collectorate News: कानपुर कलेक्ट्रेट (Kanpur Collectorate) अब 223 साल का हो गया है। आठ मार्च 1802 को कानपुर कलेक्ट्रेट की स्थापना हुई थी। इसके पहले कलेक्टर मिस्टर अब्राहम वेलांड बनाए गए थे। जो उस समय जौनपुर के कलेक्टर थे। Kanpur Collectorate News
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DM जितेंद्र प्रताप सिंह, ने कहा कि-
मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि दो शताब्दियों के गौरवशाली इतिहास को संजोए कानपुर कलेक्ट्रेट में कलेक्टर हूं। आजादी के बाद से जनता के हित में और कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। कानपुर का इतिहास देश की आजादी से लेकर 1857 की क्रांति से लेकर रामायण के लव-कुश से भी जुड़ा है।
10 नवंबर 1801 को अवध के नवाब सआदत अली से EAST INDIA COMPANYने एक बड़ा भू-भाग लिया था। जिसमें सात जिलों को बनाया गया था। इसमें कानपुर के अलावा बरेली, फतेहगढ़, गोरखपुर, इलाहाबाद, मुरादाबाद व इटावा शामिल थे। इसका जिक्र आजादी के पहले कानपुर के कलेक्टर रहे राबर्ट मांटगोमरी की स्टैटिकल रिपोर्ट ऑफ द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कानपुर – 1948 के पैरा 13 में इसका जिक्र है। जिसमें कलेक्टर बने वेलांड को राजस्व, न्यायिक व फौजदारी का भी प्रभार देने की बात है।
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कानपुर (KANPUR) इतिहास समिति के महासचिव अनूप कुमार शुक्ल ने बताया कि कानपुर कलेक्ट्रेट की स्थापना 8 मार्च 1802 को हुई थी। इसका जिक्र इतिहास की कई किताबों में है, जिसे भारतीय के साथ अंग्रेज लेखक व अधिकारियों ने लिखी है। सरकारी और प्रशासनिक रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर के प्रथम कलेक्टर अब्राहम वेलांड 8 मार्च 1802 से 21 मार्च 1803 तक रहे।
इसके बाद उनका तबादला बरेली सरकिट कोर्ट के जज के रूप में कर दिया गया। फिर जे रिचर्डसन कानपुर के दूसरे कलेक्टर बनाए गए। जिन्होंने 22 मार्च 1803 को चार्ज लिया था। इतिहासकारों के अनुसार कानपुर के नाम में 20 बार बदलाव किया गया है। ईस्ट इंडिया गजेटियर 1815 के अनुसार कौनपोर (CAUNPOOR) नाम था। 1825, में भारत का नक्शा में इसका नाम खानपोर (KHANPOOR) था और 1857 की क्रांति के बाद प्रकाशित एक पोस्टकार्ड 1881 में इसका नाम कानपोर (CAWNPOUR) था। 1948 से इसका नाम कानपुर (KANPUR) है।
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