RAHUL PANDEY
कानपुर (KANPUR) अस्पतालों में जहां एक तरफ कोरोना, फ्लू, निमोनिया और हार्ट के मरीजों समेत अन्य संक्रामक के बढ़ते मरीजों से जूझ रहा है, वहीं हैलट में दवाओं का संकट गहरा गया है। यहां कई गंभीर बीमारियों की दवाएं, एंटीबायोटिक और इंजेक्शन का स्टॉक लिमिटेड रह गया है। इसके अलावा ईएनटी और चर्म रोग की ज्यादातर सभी दवाइयां मरीजों को बाहर से ही लेनी पड़ रही है।
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बढ़ती जा रही है मरीजों की संख्या
हैलट अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में बड़ी संख्या में सर्दी, बुखार, फ्लू और सांस लेने में दिक्कत की समस्या के मरीज आ रहे हैं। पहले के मुकाबले केस लगभग दो गुना हो गए हैं। मरीजों की अधिक संख्या का प्रभाव दवाओं के स्टाक पर पड़ा है। लिवर, गुर्दा रोग समेत अन्य बीमारियों की एंटीबायोटिक दवाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं।
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चर्म रोग विभाग में दवाइयां नहीं
चर्म रोग और ईएनटी में आने वाले मरीजों संख्या भी बहुत बढ़ गई है। गुरुवार को चर्म रोग में ही करीब 236 मरीज ओपीडी पहुंचे। इन सभी मरीजों को डॉक्टर बाहर की दवाइयां ही लिखकर दे रहे थे। वहां आने वाले मरीजों से बात की। उन्होंने बताया कि यहां के डॉक्टर जितनी बार भी आओ, तो बाहर की ही दवाइयां लिख देते है। साथ ही जो दवाइयां ये लिखते है, वो सिर्फ हैलट के बाहर एक मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं। चर्म रोग के एचओडी डॉ श्वेतांक ने बताया कि कुछ दवाइयां तो हमारे पास हैं। मगर, जिस तरह के स्किन इन्फेक्शन के मरीज आ रहे है, वो दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं। इसीलिए बाहर से लेने के लिए मरीजों को कहा जाता है।
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ईएनटी विभाग में भी बाहर की दवाइयां
ईएनटी विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी बाहर की ही दवाएं लिखी जा रही है। इस बारे में विभागाध्यक्ष डॉ. एसके कन्नौजिया ने कहा, हम लोगों ने दो महीने पहले हैलट प्रशासन से दवाइयां की डिमांड दी थी। मगर, अभी तक यह डिमांड पूरी नहीं हो पाई है। इसके अलावा मरीजों के इलाज लगने वाली सभी दवाएं अस्पताल से उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। कुछ दवाएं तो बाहर की लिखनी ही पड़ती हैं।
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तीन महीने पहले खत्म
इस बारे में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया, विभाग में कुछ दवाएं तो उपलब्ध हैं, बाकी खत्म हो गई हैं। दरअसल हमारे पास दवाओं का बजट तीन महीने पहले ही खत्म हो चुका है। शासन को हम लोगों ने कई बार इस बारे में बताया, मगर अभी तक डिमांड पूरी नहीं हुई। हम लोगों को 60 फीसदी दवाइयां शासन की तरफ से मिलती हैं और बाकी 40 प्रतिशत हमको लेनी होती है। यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन को डेढ़ साल पहले एक करोड़ 40 लाख रुपए हम लोगों ने दवाइयों के लिए दिए थे। वो अभी तक हम लोगों को पूरी सप्लाई नहीं कर पाया है।