ARTI PANDEY
कानपुर : जागरण इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मॉस कम्युनिकेशन (JIMMC) में हिन्दी दिवस (Hindi Diwas) कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व योग चक्र और भाषाई मनोविज्ञान के विद्वान डॉ आरआर मिश्र ने कहा है कि अंग्रेजी व अन्य रोमन भाषाई शब्दों का मर्म समझना है तो पाणिनी अष्टाध्यायी (Panini Ashtadhyayi) पढना चाहिए। सीटीआई कानपुर (KANPUR) स्थित दिव्यांग संस्थान के निदेशन प्रभारी रहे डॉ आरआर मिश्र ने कहा कि हिन्दी रोमन आधार वाली तमाम विदेशी भाषाओं की मौसी है। उन्होंने कहा कि वे अक्सर अंग्रेजी शब्दों की व्याख्या के लिए भी संस्कृत का सहारा लेते हूं और प्रायः सही वागार्थ भी मिलता है। डॉ मिश्र ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (PM Jawaharlal Nehru) के एक विदेशी दौरे का जिक्र किया, जब नेहरू जी ने अंग्रेजी अभिवादन का जवाब नमस्ते से दिया और सभागार में बहुत देर तक तालियां बजती रहीं।
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डॉ. मिश्र ने हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए अहम पहलुओं पर चर्चा की और हिंदी भाषा (Hindi language) में अनुवाद का महत्व और शब्दो के सही प्रयोग का सुझाव दिया। उन्होंने कहा पुरातत्व काल से नमस्ते शब्द का प्रयोग हो रहा है, जिसका अर्थ आंतरिक मन से चरण स्पर्श करना है। जिसके बाद डॉ. विजयलक्ष्मी मिश्रा ने हिंदी और संगीत के संबंध के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि शब्दों का सही उच्चारण एक गीत में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने नाद और उसके प्रकार बताए, तो वहीं सात स्वरों का उल्लेख और विश्लेषण भी किया।
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‘सोंधी सुगंध मिट्टी की भाषा, गर्व करो हिंदी है मेरी भाषा’ कविता गान के साथ उन्होंने अपनी बात समाप्त की। कार्यक्रम के आखिर में जे आई एम एम सी के डायरेक्टर डॉ. उपेंद्र पांडे ने दोनो वक्ताओं को स्मृतिचिह्न भेंट दी।
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कार्यक्रमके दूसरे चरण में जे आई एम एम सी परिसर में एक ऑनलाइन वेबीनार (Online Webinar) कॉन्फिडेंस कोच आयुषी माथुर द्वारा किया गया जिसमें उन्होंने आत्मविश्वास से कैसे सक्सेस मिले, इसके संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
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दिन के अंतिम चरण में जे आई एम एम सी और होंडा मोटर्स के संयुक्त तत्वाधान में रोड सेफ्टी पर वर्कशॉप आयोजित की गई जिसमें एक्सपर्ट्स ने रोड सेफ्टी के बारे में कुछ खास बातें बताई और इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स के लिए एक कैंप भी सेटअप किया।
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