ARTI PANDEY
मिलावट रोकने में प्रशासन फेल साबित हो रहा है। कारण है खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग (Department of Food Safety and Drugs) के पास कम संख्या में कर्मचारी होना। लाखों की संख्या वाले शरह में केवल 27 एफएसओ की पोस्ट हैं, इसमें से 23 वर्तमान समय में कार्यरत हैं। कम कर्मचारियों के चलते विभाग परेशान है कि आखिर अपना काम कैसे करे। वहीं आए दिन वीआईपी के आने से काम में और देरी हो जाती है। नाम न छापने पर एक अफसर ने बताया कि जब से विभाग बना तब से 27 एफएसओ की पोस्ट है। इस समय पांच हजार लाइसेंसी और बीस हजार रजिस्ट्रेशन खाद्य विक्रेता हैं। इसके साथ कई ऐसे हैं जो बगैर लाइसेंस काम कर रहे हैं। उनपर कार्रवाई कैसे की जाए। छापेमारी के दौरान विभाग को पुलिस प्रोटेक्शन नहीं मिलता हैं। कई दफा रात में सूचना मिलती हैं कि मिलावट का काम हो रहा है, लेकिन पुलिस फोर्स न मिलने से कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त विजय प्रताप सिंह ने बताया कि 27 एफएसओ में से विभाग के पास केवल 23 एफएसओ हैं। इनमें से कुछ छुट्टी पर रहते हैं।
कानपुर में खाने व पीने के साथ कई बडी फैक्ट्रिरियां भी है जो खाने पीने के सामान बनाती हैं। साथ ही कई बडे होटल है। सब पर मानक अनुरूप काम हो रहा है कि नहीं, इसपर खाद्य विभाग कम कर्मचारियों के चलते निगाह नहीं रख पा रहा है। इसका फायदा मिलावटखोर जमकर उठा रहे हैं। कुछ दुकानों पर ही विभाग की टीम पहुंच पाती है, बाकी सब धडल्ले से मिलावट कर रहे हैं। सबसे ज्यादा खेल आउटर में होता है। वहां विभाग की एक टीम ही लगी रहती है। बार्डर पार से मिलावटी दूध, खोवा, पनीर समेत कई खाद्ध सामानों की सप्लाई होती है। कर्मचारी कम होने से इन पर कार्रवाई नहीं होती पाती है। मिलावट करने वालों पर खाद्य एवं औषधि विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। ठेलों वालों से लेकर रेस्टोरेंट, ढाबे से लेकर होटल तक में बन रहे खाने व पीने की जांच खाद्य सुरक्षा आयुक्त के जिम्मे है। एफएसओ की संख्या कम होने के चलते कार्रवाई करने में खासी परेशानी होती है। यहां 27 एफएसओ की नियुक्ति है, लेकिन मौजूदा वक्त में केवल 21 एफएसओ है।