KANPUR NEWS : कोविड संक्रमण के बाद फेफड़ों की फाइब्रोसिस से जूझ रहे ब्रिटेन के बर्मिंघम निवासी डॉक्टर ने हैलट में स्टेम सेल थैरेपी ली है। रोगी की बैठने पर भी सांस फूलती थी। KANPUR NEWS
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कोविड से फेफड़ों की फाइब्रोसिस (fibrosis) का विश्व स्तर पर अभी कोई कारगर इलाज नहीं है। रोगी डॉ. आरएम सिंह (53) पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंटोलॉजिस्ट हैं। उनकी स्थिति पता चलने पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने उन्हें स्टेम सेल थैरेपी कराने की सलाह दी। डॉ. आरएम सिंह और डॉ. संजय काला (Dr Sanjay Kala) ने वर्ष 1989 में आगरा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया था।
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि नौ अक्तूबर को गोवा में उनके बैच की मीटिंग हुई थी। वहां डॉ. सिंह कोविड से हुई फेफड़ों की फाइब्रोसिस (fibrosis) के कारण सांस में बहुत तकलीफ थी। ब्रिटेन में रोग का सटीक इलाज भी नहीं हो पा रहा था। इस पर उन्हें स्टेम सेल थैरेपी आजमाने की सलाह दी गई। डॉ. सिंह को ब्रिटेन की नागरिकता भी मिली हुई है। वह बर्मिंघम में प्रैक्टिस करते हैं। तबीयत खराब होने की वजह से उनकी प्रैक्टिस में भी बाधा आ रही थी। स्टेम सेल थैरेपी के विशेषज्ञ डॉ. बीएस राजपूत ने शुक्रवार को स्टेम सेल थैरेपी दी।
डॉ. काला ने बताया कि महामारी के दौरान डॉ. सिंह की मां को कोरोना हुआ था। वह आगरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती थीं। डॉ. सिंह उनसे मिलने ब्रिटेन से आए, इस दाैरान उन्हें भी संक्रमण हो गया। इस पर उनका पहले आगरा में इलाज किया गया। इसके बाद गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती किया गया। कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद फेफड़े प्रभावित हो गए थे। थैरेपी देने वाली टीम में डॉ. राजपूत, डॉ. काला, डॉ. यामिनी राणा, डॉ. अंचल, डॉ. साकिब, डॉ. आदित्य, डॉ. गीतिका और डॉ. शशांक रहे।
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दूसरी डोज तीन महीने बाद दी जाएगी
डॉ. बीएस राजपूत ने बताया कि डॉ. सिंह को दूसरी डोज तीन महीने बाद दी जाएगी। डोज लेने के वह ब्रिटेन से आएंगे। अब तक कोविड लंग्स फाइब्रोसिस के 50 रोगियों को वह स्टेम सेल थैरेपी दे चुके हैं। कोविड लंग्स फाइब्रोसिस लाइलाज बीमारियों में आती है। जिन रोगियों ने साल में स्टेम सेल थैरेपी की चार डोज ली, उनके फेफड़ों की क्षमता बढ़ गई। ऑक्सीजन छूट गई और दवाएं कम हुईं। स्टेम सेल से सूजन कम होती है। कोशिकाओं की रिपेयरिंग होगी है और नई रक्तवाहिनियां बनती हैं।