KANPUR NEWS : नए असलहा लाइसेंस बनवाने की चाहत रखने वालों के लिए खबर खास है। बीते सालों से बंद असलहा लाइसेंस अब बनना शुरू हो गया है। KANPUR NEWS
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कुछ महीने पहले तत्कालीन डीएम राकेश कुमार सिंह (DM Rakesh Kumar Singh) ने करीब 11 असलहा लाइसेंस स्वीकृत किए, इसमें से तीन से चार NEW लाइेंसस जारी भी हो गए हैं। वहीं DM जितेंद्र प्रताप सिंह (DM Jitendra Pratap Singh) ने वरासत के नए शस्त्र लाइसेंस (new arms license) जारी करने शुरू कर दिए हैं। एक आलाधिकारी ने बताया कि शस्त्र लाइसेंस बनाए जाने की प्रक्रिया रोकी नहीं गई थी और इसको लेकर कोई लिखित आदेश भी नहीं था।
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह (DM Jitendra Pratap Singh) ने बताया कि अभी सिर्फ वरासत के जरूरतमंद लोगों को ही नए शस्त्र लाइसेंस दिए जाएंगे। उससे पहले शस्त्रधारक से कारणों की पड़ताल की जाएगी। कारणों से संतुष्ट होने के बाद ही लाइसेंस जारी होगा। सामान्य लोगों के लाइसेंस शासन की अनुमति के बाद ही बनेंगे।
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रसूखदार के नए लाइसेंस हुए जारी
अंदरखाने की माने तो तत्कालीन डीएम ने करीब 11 नए लाइसेंस स्वीकृत किए थे। इनमें से कई रसूखदार लोग हैं। इसमें एक बडे ओहदे के अफसर की पत्नी तो कुछ बडे अफसर भी शामिल हैं।
वरासत के चार शस्त्र लाइसेंस जारी
इस माह जिलाधिकारी (DM) ने वरासत के चार शस्त्र लाइसेंस जारी किए हैं। इससे शस्त्रधारकों के परिजनों ने राहत की सांस ली है। वर्ष 2019 में शस्त्र लाइसेंस में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद शासन ने नए लाइसेंस बनाने पर रोक लगा दी थी। तब से अभी तक जरूरतमंद तीन-चार लोगों को छोड़कर किसी के लाइसेंस नहीं बनाए गए थे।
वर्तमान समय में करीब 200 से अधिक वरासत वाले आवेदन लंबित हैं। साक्षात्कार के बाद जिलाधिकारी लाइसेंस जारी करेंगे। इस दौरान जरूरत समझ में आने पर ही लाइसेंस बनेगा।शहर में शस्त्र लाइसेंस के फर्जीवाड़ा का खुलासा अगस्त 2019 को हुआ था। कलक्ट्रेट में 91 फर्जी लाइसेंस पकड़े गए थे। इनमें से 73 को फर्जी लाइसेंस की बुकलेट भी जारी कर दी गई थी। बुकलेट में स्कैन कर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर भी बनाए गए थे।
वर्तमान में करीब 39 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंसधारक हैं
बाकी बुकलेट जारी होने के समय यह फर्जीवाड़ा पकड़ लिया गया था। यह फर्जी लाइसेंस जुलाई 2018 से 30 जुलाई 2019 तक बनवाए गए थे। इसके बाद इन लाइसेंस को रद्द कर दिया गया था और नए शस्त्र लाइसेंस बनाने पर रोक लगा दी गई थी। तब से अब तक छह जिलाधिकारी बदल गए लेकिन किसी ने एक भी नया शस्त्र लाइसेंस नहीं जारी किया। जिले में वर्तमान में करीब 39 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंसधारक हैं।
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100 से अधिक असलहों का लाइसेंस निरस्त हो चुका है
वर्ष 2019 से पहले 41 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंस थे। रोक के बाद करीब 500 से अधिक शस्त्र लाइसेंस धारकों की मौत हो चुकी है और 300 लोगों के लाइसेंस ट्रांसफर के आवेदन पड़े थे। इनके आज तक नए लाइसेंस ही नहीं बनाए गए। जो भी आवेदन आए संबंधित थाने की रिपोर्ट भी लगाई गई, लेकिन नए लाइसेंस नहीं बने और छह माह बाद आवेदन स्वत: रद्द हो गए। इसके साथ ही करीब 100 से अधिक असलहों का गलत प्रयोग करने पर डीएम लाइसेंस निरस्त कर चुके हैं।
जरूरतमंद वरासत वाले आवेदन पत्रों को प्रमुखता
वर्तमान जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (DM Jitendra Pratap Singh) ने जनता दर्शन के दौरान शस्त्रधारकों की मृत्यु के बाद वरासत कराने और लाइसेंस हस्तांतरण के ज्यादा आवेदन देख इस पर निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। उन्होंने जरूरतमंद वरासत वाले आवेदन पत्रों को प्रमुखता दी है। अभी केवल उन्हीं के लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, जिन्हें जान-माल का खतरा या अन्य कोई परेशानी है। इसके बाद खिलाड़ियों के भी लाइसेंस बनाने का आश्वासन दिया है। डीएम की ओर से जारी चार लाइसेंसों में दो विधवा महिलाओं के हैं। उन्हें रंजिश में जान-माल का खतरा है। बाकी दो भी ऐसे ही जरूरतमंद लोग हैं। सामान्य लोगों के नए लाइसेंस शासन की अनुमति के बाद ही जारी होंगे।
एसआईटी कर रही गायब फाइलों की जांच
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तीन लिपिक बर्खास्त हुए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक तिवारी की संस्तुति पर एसआईटी टीम गठित हुई थी। इसकी जांच में करीब 14 हजार फाइलें गायब मिली थीं। इसके बाद एसआईटी शस्त्रों के नामांतरण का रजिस्टर जब्त कर अपने साथ ले गई थी। तब से अभी तक टीम जांच कर रही है, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। परिजन डीएम, एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट रहे थे।
ऐसे बनता है शस्त्र लाइसेंस
जिलाधिकारी लाइसेंस स्वीकृत करते हैं। बुकलेट सिटी मजिस्ट्रेट जारी करते हैं। डीएम की स्वीकृति से पहले थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी, एसीपी, डीसीपी क्राइम की संस्तुति होती है। इसके बाद उसका एसडीएम सिटी सत्यापन संबंधित तहसील से कराते हैं। दोनों की रिपोर्ट डीएम के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, जिसके बाद लाइसेंस जारी किया जाता है।