RAHUL PANDEY
KANPUR NEWS : तहसील कर्मचारियों के साथ मिलकर करोडों की सरकारी जमीन पर किए कब्जे को पकडा गया है। सदर तहसीलदार को मिली सूचना पर इसकी जांच की गई तब यह पूरा खेल सामना आया। मामला सदर तहसील के बिधनू ब्लॉक के जमरेही गांव का है।
यहां सरकारी दस्तावेजों में घालमेल कर कर्मचारियों ने 25 बीघा से ज्यादा जिसकी अनुमानित कीमत दस करोड से अधिक है वह बेच दी। वहीं अंदरखाने की माने तो जमरेही गांव की कई फाइलें और दस्तावेज तहसील से गायब हैं। एसडीएम सदर अजय कुमार गौतम ने बताया कि तहसीलदार सदर की रिपोर्ट आई थी। इसमें चारागाह की जमीन पर कूटरचित दस्तावेजों के जरिए ग्रामीणों के नाम चढ़े हुए थे। उनको हटाकर जमीन को वापस चारागाह में दर्ज कर लिया गया है। कुछ पट्टे की फाइलें निरस्त करने को डीएम कोर्ट भेजी गई है।KANPUR NEWS
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कुछ महीने पहले सदर तहसील में एक गुप्त सूचना मिली थी, जिसमें सदर तहसील के बिधनू ब्लॉक के जमरेही गांव में कई बीघा चारगाह भूमि पर अवैध कब्जे की जानकारी दी गई थी। सूचना के बाद इसकी जांच तहसीलदार ने शुरू की। इसमें चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जे और फर्जी नाम चढ़े होने की पुष्टि हुई। उस पर फर्जीवाड़ा कर राधेलाल, रामलाल, मुंशीलाल, श्वेता, मुन्नीदेवी, सूरजपाल समेत एक दर्जन से ज्यादा लोगों चारागाह की जमीन हड़प ली थी। सभी ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से अपने नाम करवाली थी। तहसीलदार सदर रितेश कुमार सिंह की रिपोर्ट पर सभी के खिलाफ 10 सितंबर को एसडीएम सदर की कोर्ट में मामला दर्ज किया गया। सभी कब्जेदारों को नोटिस भेजा फिर सुनवाई कर कब्जों को खारिज किया गया। खतौनी में दर्ज सभी नामों को एसडीएम सदर की कोर्ट ने फर्जी माना 17 अक्तूबर को दिए आदेश के बाद सभी के नामों को खारिज करके 26 बीघा जमीन को वापस चारागाह में दर्ज किया गया।
तहसील से फाइल गायब, कब होगी कार्रवाई
जमरेही में मिले पट्टों के दस्तावेजों को खारिज करने को भेजे जाने से पहले जांच पड़ताल की गई। जबकि खतौनी में कई नाम बिना दस्तावेजों के दर्ज है। ऐसे में कर्मचारियों की मिलीभगत से चारागाह की जमीन पर नाम दर्ज किए गए। उनकी कोई लिखापढ़ी नहीं है। कई फाइल व दस्तावेज तक गायब है। इसके बावजूद तहसील के कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि दस्तावेज व फाइल रखने की जिम्मेदारी उनकी है उस पर से नाम भी फर्जी चढ़ गया।
कई पट्टे निरस्त करने को डीएम कोर्ट भेजी फाइल
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि रिपोर्ट में सदर तहसील से 30 फाइलें भेजी गई थीं। इसमें दर्ज नामों को हटाकर जमीन को चारागाह में दर्ज कर दिया गया है। बाकी पट्टे की करीब 10 से ज्यादा फाइलों को निरस्त करने के लिए डीएम कोर्ट को भेज दिया गया है। जल्द ही उन पर भी कार्रवाई होगी।KANPUR NEWS
इनकी फाइलें भी हैं गायब
मकसूदाबाद और पिपौरी की जमीन का पट्टा करने के आदेश से जुड़ी फाइलों की तलाश की जाएगी। इसके लिए तहसील कर्मियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मकसूदाबाद की 105 बीघा आठ बिस्वा जमीन का पट्टा वर्ष 1963 में 16 लोगों को और पिपौरी की 63 बीघा जमीन का पट्टा वर्ष 1975 में 30 लोगों को किया गया था। सरकारी जमीन से जुड़ा मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सभी पट्टे निरस्त करते हुए जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करा दिया था। इन जमीनों को पट्टा करने संबंधी आदेश से जुड़ी फाइलें तहसील से गायब हैं। मकसूदाबाद और पिपौरी में किए गए पट्टे संबंधी आदेश की फाइल गायब है जबकि इन पट्टों के क्रम में भूमि का असंक्रमणीय से संक्रमणीय घोषित करने के आदेश की फाइल मौजूद है।