RAHUL PANDEY
बाबा बिरयानी के मालिक को तीन साल पहले राम जानकी मंदिर को कब्जा मामले में प्रशासन के अफसरों ने क्लीनचिट दे दी थी। एसडीएम स्तर के दो अधिकारियों ने शिकायत मिलने पर जांच की और बाद में मुख्तार बाबा को सही मान छोड दिया था। अब शायद इन अफसरों पर भी जांच की तलवार लटक सकती है। दरअसल मुख्तार बाबा की बिरयानी में इतनी हनक थी कई बडे अफसर इसका स्वाद लेते रहते थे। तीन जून को हुए हिंसा के बाद सारा खेल बिगड गया और मुख्तार का नाम भी इसमें शामिल हो गया। जिसके बाद प्रशासन और पुलिस विभाग को उसे गिरफ्तार करना पडा। (KANPUR NEWS)
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कानपुर के बजरिया थाने में बाबा बिरयानी का मालिक मुख्तार अहमद उर्फ मुख्तार बाबा के खिलाफ जिस राम जानकी मंदिर को कब्जा कर तोड़कर होटल बनाने और फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैनामा कराने का आरोपी बनाते हुए जेल भेजा गया है। उसे इसी मामले मे तीन साल पहले बख्श दिया गया था। उस दौरान बाबा तत्कालीन एसडीएम स्तर के दो अधिकारियों की जांच में बाबा क्लीनचिट साबित हो गया था।
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शिकायत के आधार पर मामले की जांच
साल 2019 में अपर नगर मजिस्ट्रेट (एसीएम) तृतीय ने उस समय कैसर जहां की ओर से मिली शिकायत के आधार पर मामले की जांच की। लंबी जांच के बाद जांच अधिकारी ने मंदिर होने और नगर निगम के दस्तावेजों में गड़बड़ी करने के आरोप खारिज कर दिए थे। जबकि बाबा ने जो जमीन खरीदी थी वह एक पाकिस्तानी नागरिक की बताई जाती है। इससे साफ है कि बाबा गलत दस्तावेजों और कुछ अधिकारियों का कृपा पात्र होने की वजह से तब बच गया था।
जांच रिपोर्ट को चुनौती
जांच अधिकारी ने उस समय करीब 303 संलग्नक के साथ पूरी रिपोर्ट उस समय के जिलाधिकारी को सौंप दी। इसके बाद साल 2020 में कैसर जहां ने फिर डीएम से एसीएम तृतीय की जांच रिपोर्ट को चुनौती देते हुए किसी उच्च स्तर के अधिकारी से कराने की गुजारिश की। इस पर एसीएम 7 के अलावा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और तहसीलदार न्यायिक सदर की संयुक्त कमेटी गठित कर जांच कराई गई। इस जांच के दौरान भी मंदिर को तोड़ने और कब्जा कर दुकान बनाने जैसे आरोेप खारिज कर दिए गए थे। प्रशासन उस समय हुई जांच को भी नए सिरे से जांच कराने की तैयारी कर रहा है।