RAHUL PANDEY
असलहा ट्रांसफर (Weapon transfer) ने हो पाने से सैकडों लोग परेशान हैं। कहते हैं गलती किसी और की खामियाजा हम भुगत रहे। पहले हाईकोर्ट (HIGHCOURT) का आदेश और बाद में प्रशासनिक अफसरों का भ्रष्टाचार, सालों से पिस्टल और रिवालवर लगाकर रौब गांठने वाली की हसरत पर ही गांठ लग गई है। सालों से वरासत के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे लोगों को कब तक सही जानकारी मिलेगी यह अफसरों और बाबूओं को भी नहीं पता है।
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अफसर बताते हैं कि लाइसेंस की फाइलें एसआईटी ले गई है, कई दफा बयान दर्ज किए गए। तीन बाबूओं पर कार्रवाई भी गई, लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी। एसआईटी करीब 40 बिंदुओं पर जांच कर रही है। अपर नगर मजिस्ट्रेट रामानुज ने बताया कि पिछले कई सालों से नये और विरासत वाले लाइसेंस जारी नहीं किया जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि एसआईटी लाइसेंस ट्रांसफर का रजिस्टर अपने साथ ले गई है। जांच पूरी और रजिस्टर मिलने के बाद ही आवेदनों को प्राथमिकता पर निस्तारित किया जाएगा।
पांच डीएम बदल चुके
पिछले सात साल में भले ही एक भी नये असलहा लाइसेंस जारी न किया गया हो, बावजूद इसके लोगों में लाइसेंस बनवाने को लेकर जुनून अभी तक कम नहीं हुआ है। आंकड़े बताते है कि हर साल औसतन दो हजार आवेदन नये लाइसेंस और वरासत लाइसेंस बनवाने को लेकर आ रहे हैं, लेकिन नये एक भी नहीं बनाए जा रहे हैं और ना ही विरासत वाले लाइसेंस को जारी किया जा रहा है। अधिकारियो के मुताबिक अबतक 15 हजार से ज्यादा लोग हथियार का लाइसेंस लेने का इंतजार कर रहे हैं।
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पिछले सात सालों में पांच डीएम बदल चुके हैं, लेकिन लाइसेंस एक भी जारी नहीं हुआ है. इनमें पूर्व डीएम विजय विश्वास पंत, बहृमदेव तिवारी, अलोक तिवारी, विशाख जी, नेहा शर्मा शामिल है, बता दें कि डीएम विशाख जी की दोबारा पोस्टिंग है।
इसलिए जारी नहीं हो रहे लाइसेंस
अधिकारियों के मुताबिक कलक्ट्रेट के असलहा विभाग में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें मिल रहीं थीं. इस पर पूर्व डीएम आलोक तिवारी की संस्तुति पर एसआईटी बनाई गई। जांच में शस्त्र लाइसेंस की 14 हजार फाइलें गायब मिली. जिसके बाद एसआईटी ने शस्त्रों के नामांतरण (शस्त्र की विरासत) का रजिस्टर जब्त कर लिया। तब से यह रजिस्टर एसआईटी के कब्जे में है इसके चलते लाइसेंस का ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में 700 से ज्यादा ऐसे आवेदन लंबित हैं जिसमें लोगों ने शस्त्र लाइसेंस के नामांतरण का प्रार्थना पत्र दे रखा है। अधिकारी के मुताबिक रजिस्टर एसआईटी ले गई है तो वह ट्रांसफर कैसे करें। यही वजह शस्त्र के लाइसेंस नहीं बनाए जा रहे हैं।
41 हजार से ज्यादा लाइसेंस की जांच
शहर में 41 हजार 600 से अधिक शस्त्र लाइसेंस (Arms License) धारक हैं. इसमें राइफल, पिस्टल, रिवाल्वर, डबल बैरल और सिंगल बैरल असलहे शामिल है। ऐसे में इसका सत्यापन कराने के लिए एसीएम द्वितीय को नोडल बनाया गया था। उनकी मदद के लिए तीन और अपर नगर मजिस्ट्रेट लगाए गए थे। अभी भी इसकी जांच चल रही है. बता दें कि बिकरू कांड के बाद कई फर्जी लाइसेंस पकड़े गए थे जिसके बाद 350 से ज्यादा हथियारों के लाइसेंस को निरस्त किया गया था। वहीं इस मामले में तत्कालीन अफसरों और बाबूओं के नाम भी आए थे। इनमें से दो बाबूओं पर कार्रवाई भी कई है।
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सबसे ज्यादा नये लाइसेंस
शस्त्र विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 2016 से लगातार लाइसेंस जारी कराने के लिए आवेदन आ रहे हैं। इसमें वरासत लाइसेंस को जारी कराने का भी आवेदन शामिल है। आंकड़ों मुताबिक सात सालों में 15 हजार से ज्यादा लाइसेंस नये वालों के लिए आ चुके हैं। जबकि वरासत लाइसेंस जारी कराने के लिए 700 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं, बावजूद इसके अबतक एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। जिसकी वजह से आए दिन आवेदक शस्त्र विभाग के चक्कर काटता रहता है। इस उम्मीद से कि उसे भी एक दिन हथियार रखने का लाइसेंस मिलेगा।
सेटिंग से गेटिंग तक का खेल
दरअसल बिकरू कांड (BikruKand) के बाद फटकार झेल रहा जिला और पुलिस प्रशासन में हडकंप मच गया। अपराधियों के पास लाइसेंसी असलहा मिला। जांच में कई खेल सामने आए। अफसरों, बाबूओं और बिचैलियों की मदद से सेटिंग से लाइसेंस गेटिंग होता रहा। लाखों के वारे न्यारे हुए, साहब लोगों के साइन खुद ही कर्मचारियों ने कर दिया। पूरा मामला शासन तक पहुंचा तो एसआईटी जांच बैठा दी गई। एसआईटी अफसर असलहा कार्यालय से पूरे रजिस्टर जांच के लिए ले गए। बताया गया कि करीब तीन सैकडा से अधिक फर्जी लाइसेंस मिले हैं। जांच अब तक चल रही है।
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