RAHUL PANDEY
कानपुर (kanpur) में नाबालिग से गैंगरेप और उसकी मौत के मामले में पुलिस सवालों के घेरे में हैं। गैंगरेप, फिर प्रसव के दौरान मौत तक पुलिस अफसर आरोपियों को बचाने की कोशिश में जुटे रहे। शुक्रवार को पीड़िता के पिता ने एक न्यूज वेब पोर्टल को दिये बयान में बताया कि जिस दिन मेरी बेटी की चिता जल रही थी, पुलिस वाले मुझसे एक कागज में अंगूठा लगवा रहे थे। उसमें लिखा था कि मैं अब तक की जांच से संतुष्ट हूं। थानेदार से लेकर आईजी तक शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
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जबरन पुलिस ने करा दिया था अंतिम संस्कार
मामला कानपुर (Kanpur) के ककवन का है। यहां मंगलवार को 16 साल की गैंगरेप पीड़िता की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। बुधवार को जबरन पुलिस ने अंतिम संस्कार करा दिया। पीड़िता का शव गांव में नहीं लाने दिया। पीड़िता के पिता ने 11 अक्टूबर को बेटी के साथ गैंगरेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस पूरे मामले में पुलिस ने लापरवाही की सभी हदें पार कर दी।
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थानेदार से लेकर एसपी आउटर तक शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि, आरोपी सरकारी नौकरी करता था और लेखपाल संघ का अध्यक्ष है। 29 नवंबर पीड़िता के पिता आईजी रेंज प्रशांत कुमार से मिले। उनको लिखित में दिया कि आरोपी लेखपाल की पुलिस से सांठगांठ है। इसलिए यहां से जांच संभव नहीं है। जांच दूसरे जिले की पुलिस को ट्रांसफर कर दी जाए।
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जांच ट्रांसफर न करने की बात लिखे कागज पर लगवाया अंगूठा
इसके बाद भी न ही जांच ट्रांसफर हुई और न ही आरोपी लेखपाल को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने आनन-फानन में आरोपी लेखपाल को गिरफ्तार करके जेल भेजा। इतना ही नहीं बुधवार को भैरव घाट पर पीड़िता का अंतिम संस्कार चल रहा था इसी दौरान ककवन एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने पीड़िता के पिता से उस कागज पर अंगूठा लगवाया जिसमें जांच ट्रांसफर न करने की बात लिखी थी। एसओ ने इसलिए ऐसा किया ताकि आगे वह अपना बचाव कर सकें।
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जांच ट्रांसफर न करने की बात लिखे कागज पर लगवाया अंगूठा
ककवन पुलिस (police) आरोपी लेखपाल को क्लीन चिट देकर उसका नाम एफआईआर से बाहर निकालने की तैयारी में थी। विवेचक कौशलेंद्र प्रताप सिंह लेखपाल को निर्दोष बता रहे थे। इसलिए उसका नाम केस से बाहर करने की जद्दोजहद में जुटे थे। यहां तक कि दो या तीन पर्चे भी काटे जा चुके थे। जिसमें यह दावा किया गया था कि लेखपाल के खिलाफ साक्ष्य नहीं है। इसी दौरान पीड़िता व नवजात की मौत हो गई। तब सीनियर अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया। तब पुलिस ने आनन-फानन में लेखपाल को गिरफ्तार करके जेल भेजा।
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दो अज्ञात आरोपी कौन थे, आज तक जांच नहीं कर सकी पुलिस
किशोरी से गैंगरेप मामले में पीड़िता ने गांव के युवक करन और लेखपाल रंजीत के साथ ही दो अज्ञात के खिलाफ गैंगरेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने दो नामजद आरोपियों को तो जेल भेज दिया, लेकिन आज तक अज्ञात आरोपियों का कोई सुराग नहीं लगा सकी है। आखिर गैंगरेप में शामिल वो दो युवक कौन थे। उनका लेखपाल गांव में रहने वाले आरोपी से क्या संबंध था। पुलिस बस जांच का हवाला देकर हर बार पल्ला झाड़ रही है।
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ADG बोले मेरा बयान मत छापो…
मामले में शुक्रवार को कानपुर जोन के एडीजी भानु भास्कर से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में मेरा बयान मत छापो। इस संबंध में आईजी से बात कर लीजिए। वहीं आईजी प्रशांत कुमार ने बताया कि मामले की जांच एडिशनल एसपी कानपुर आउटर को दी गई है। जांच के बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी। इससे आप आरोपी लेखपाल के रसूख और हैसियत का अंदाजा लगा सकते हैं कि उसके मामले में कोई भी अफसर पुलिस को दोषी मानने और कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
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DNA जांच कराने के लिए दी कोर्ट में अर्जी
पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों ने पीड़िता व नवजात का डीएनए सैंपल लिया था। गुरुवार को पुलिस ने कोर्ट में अर्जी देकर जेल भेजे गए आरोपियों करन व लेखपाल रंजीत का डीएनए जांच के लिए सैंपल लेने की अनुमति मांगी है। केस के विवेचक ककवन एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि डीएनए जांच आरोपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य साबित होगी। इसलिए यह कार्रवाई की जा रही है। अनुमति मिलते ही डीएनए सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाएगा।