ARTI PANDEY
शासन के आदेश के करीब तीन महीने बाद भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे शुरू नहीं हो सका है। यह आलम तक है जब शासन ने ही रिपोर्ट एक माह में मांगी थी। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने वक्फ बोर्ड से जुड़ा 33 साल पुराना आदेश रद्द कर दिया है। अफसर अभी इस गफलत में हैं कि सर्वे करेगा कौन? वक्फ बोर्ड की संपत्ति की लिस्ट किस विभाग के पास और कहां सर्वे करना है अफसरों को मालूम नहीं। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी पवन कुमार सिंह ने बताया कि वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए तहसीलों में एसडीएम को पत्र भेजे गए हैं। अभी तक किसी की जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। पुन: रिमाइंडर भेजा गया है।
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वक्फ बोर्ड की आड़ में सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने वालों पर सरकार शिकंजा कसने के लिए सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे में देखा जाएगा जो सम्पत्ति वक्फ बोर्ड के नाम पंजीकृत है वह किस श्रेणी में आती है। अगर वह सामान्य सम्पत्ति (बंजर, भीटा, ऊसर आदि) तो इसकी जानकारी सर्वे रिपोर्ट में दर्ज की जाएगी। इस संबंध में एडीएम वित्त एवं राजस्व ने सभी एसडीएम को पत्र लिखकर एक महीने में रिपोर्ट मांगी थी। सर्वे कौन करेगा, इसे लेकर भी विभागों के बीच समन्वय नहीं बन पाया। अब रिपोर्ट देने की समय सीमा बीत चुकी है। यहां वक्फ बोर्ड की 2674 सम्पत्तियां हैं। इनमें 2602 सुन्नी वक्फ और 72 शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियां हैं। एसडीएम को उन सम्पत्तियों का पुनर्परीक्षण करना है जो सामान्य सम्पत्ति हैं और वक्फ में शामिल कर दी गई हैं।
शहर भर में 2674 सम्पत्तियां
जिले में वक्फ बोर्ड की 2,674 संपत्तियां हैं। एसडीएम को उन संपत्तियों का पुनर्परीक्षण करना है जो सामान्य संपत्ति हैं और वक्फ में शामिल कर दी गई हैं। इनमें ग्वालटोली, पटकापुर, चमनगंज समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां वक्फ की जमीन पर लोगों का कब्जा है।
बंजर, ऊसर की जमीनें भी वक्फ में दर्ज
राजस्व विभाग के सात अप्रैल 1989 को जारी शासनादेश में बंजर, ऊसर, भीटा आदि की जमीनों को प्रयोग के आधार पर वक्फ के रूप में दर्ज किए जाने के आदेश दिए थे। बंजर, ऊसर, भीटा आदि ग्राम सभाओं नगरीय निकायों के प्रबंधन की सार्वजनिक संपत्तिय हैं। जिनका उपयोग समय समय पर आवश्यकतानुसार सार्वजनिक उपयोग के लिए जनहित को देखते हुए किया जाता है। वर्तमान निर्देश हैं कि इन संपत्तियों को इनके मूल रूप में दर्ज किया जाए, लेकिन अब तक सर्वे ही नहीं हुआ।
क्या है 1989 का शासनादेश
राजस्व विभाग के शासनादेश में सात अप्रैल 1989 में बंजर, ऊसर, भीटा आदि को भी प्रयोग के आधार पर वक्फ के रूप में दर्ज किए जाने के निर्देश दिए गए थे। बंजर, ऊसर, भीटा आदि ग्राम सभाओं नगरीय निकायों के प्रबंधन की सार्वजनिक सम्पत्तियों हैं। जिनका उपयोग समय समय पर आवश्यकतानुसार सार्वजनिक उपयोग के लिए जनहित के दृष्टिकोण में किया जाता है।
जिले में इतनी हैं वक्फ संपत्तियां
सुन्नी वक्फ 2,602
शिया वक्फ 72
कुल 2674
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