कानपुर के सजेती में पानी का बताशा (गोलगप्पा ) खाने से एक की मौत हो गई। गले में एक बताशा ऐसा फंसा कि वह तड़पकर रह गया। मौके पर ही बेहोश हो गया और अस्पताल पहुंचने से पहले उसकी सांसें थम गईं।
सांखाहारी गांव चौराहे की ओर निकले थे
- हरबसपुर निवासी नरेश सचान (45) बुधवार को सांखाहारी गांव चौराहे की ओर निकले थे।
- वह खेती-किसानी के साथ ट्रक भी चलाते थे। चौराहे पर बताशे का ठेला लगा देखा तो 10 रुपए के बताशे खिलाने को कहा।
- दुकानदार ने बताशे खिलाने शुरू किए।
- चौराहे पर मौजूद लोगों के मुताबिक तीसरा बताशा खाने पर नरेश को खांसी आने लगी और खांसते-खांसते उलझन महसूस होने लगी। कुछ ही देर बाद वह ठेले के पास लड़खड़ाकर गिर पड़े।
- लोग दौड़कर आए और चेहरे पर पानी छिड़का तो उनको होश आ गया।
- थोड़ी देर तक सामान्य दिखने के बाद नरेश की हालत फिर बिगड़ गई।
- वह शैल तिवारी की परचून की दुकान के सामने पड़ी बेंच पर लेट गए।
- लगभग 10 मिनट तक करवटें बदलने के बाद उनमें किसी तरह की हरकत होनी बंद हो गई।
- उन्हें उठाने का काफी प्रयास किया गया पर कोई जवाब नहीं आया। घबराए लोगों ने तुरंत नरेश के परिजनों को सूचना दी।
- परिजन व पड़ोसी उन्हें लेकर घाटमपुर सीएचसी भागे।
- सीएचसी में डॉ. अजीत सचान ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
- बताया गया कि नरेश की रास्ते में ही मौत हो गई।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विशेषज्ञ प्रो. संदीप कौशिक का कहना है कि पानी के बताशे यानी गोलगप्पा खाने में अक्सर लोग पूरा मुंह खोलकर गर्दन पीछे कर खाते हैं। यह तरीका गलत है। नरेश सचान की मौत इसी तरीके से गोलगप्पा खाने हो सकती है। जब उन्होंने बताशा खाया होगा तो वह गर्दन पीछे करने से सीधे सांस नली में जाकर फंस गया और सांस वापस नहीं आई तो जान चली गई।