SHUBHANGI DWIVEDI
साढ़ थाना क्षेत्र में उस वक्त हड़कंप मच गया। जब श्रद्धालु से भरी ट्रैक्टर-ट्राली अनियंत्रित होकर तालाब में पलट गई। हादसे में 27 लोगों की मौत की सूचना मिल रही है। शासन के वादे और अफसरों के दावे के चक्कर में करीब 27 लोगों की जान गई है। लगातार बैठकों का दौर और स्मार्ट सिटी के ख्वाब दिखा रहे प्रशासन ने यहां की सडकों के गड्ढे तक नहीं भरवाए। गांव की सडकों पर लाइटों का भी कोई प्रबंध नहीं किया गया है। यही कारण है कि जब श्रद्धालु से भरी ट्रैक्टर-ट्राली इस सडक से निकली तो ड्राइवर को अंदाजा नहीं लगा और वाहन बेकाबू हो गया। अगर रोड लाइट होती और सडक सही होती तो शायद यह हादसा न होता। हादसे के बाद भी लोगों की जान बच सकती है थी लेकिन लाइट न होने के कारण वहां पहुंचे स्थानीय लोग भी परेशान रहे। लोगों को बचाने के लिए मोबाइल टार्च जलाई और घर से बैटरी लेकर आए। आखिर इतने बडे और भयंकर हादसे का जिम्मेदार कौन है।
नाश्ते के लिए ट्रैक्टर ट्राली को रोका था
कृपाशंकर यादव ने बताया कि मुंडन कराने के बाद आ रहे थे। सभी ने एक जगह नाश्ता किया है। उसके बाद ट्रैक्टर ट्राली में सवार होकर सभी घर के लिए निकले। ट्रैक्टर ट्राली थोड़ी दूर ही चली थी। रास्ते में गड्ढ़े की वजह से ट्राली बेकाबू हो गई और ट्रैक्टर और ट्राली दोनों ही पलट गई। वहीं अंकित ने बताया कि जब ड्राइवर ने नाश्ते के लिए ट्रैक्टर ट्राली को रोका था तो इसदौरान ड्राइवर समेत ट्राली में सवार कई लोगों ने शराब पी थी। कुछ देर चलने के बाद ट्रैक्टर लहराया था। कुछ दूर बाद ट्रैक्टर ट्राली अनियंत्रित होकर और पानी में समा गई। हैलेट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने बताया कि अस्पताल में 2 बच्चों की मौत डूबने से हुई है। इनके नाम 3 वर्ष की दिव्या और 12 साल की रंजना है। एडमिट बाकी 4 लोग की हालत खतरे से बाहर है।
प्रशासन पर लापरवाही के लग रहे आरोप
घटना की जानकारी मिलने के बाद एम्बुलेंस मौके पर भेजे गए। हालांकि स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण एम्बुलेंस देरी से पहुंची। अगर एम्बुलेंस सही समय पर पहुंचती तो और लोगों की जान बच सकती थी। माना जा रहा है कि ट्रैक्टर के अंदर दबे लोगों की दम घुटने से मौत हुई है। फिलहाल राहत कार्य जारी है। मौके पर सांसद देवेंद्र सिंह भोले और विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी पहुंच गए हैं।
हादसे के बाद हैलट अस्पताल में डॉक्टरों की कमी देखी गई। घायलों को इलाज न मिलने पर परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा कर दिया। पुलिस और अन्य प्रशासन के अधिकारी उन्हें समझाते रहे। अपनों को आंखों के सामने तड़पता देख लोगों के आंसू बहना बंद नहीं हो रहे थे। आनन-फानन में जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को भी हैलट में मदद के लिए बुलाया गया।