#KANPUR : मनीष गुप्ता की मौत मामले में दो दिनों से गोरखपुर में जांच कर रही कानपुर एसआईटी की टीम के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं। बताया जा रहा कि शनिवार को ही होटल में जांच के दौरान खून के धब्बे, कर्मचारी के बयान से कई तथ्य मिल गए थे, जिससे एक बात साफ हो चुकी है कि होटल में 27 सितंबर की रात कुछ तो ऐसा हुआ था जिसे महज हादसा नहीं कहा जा सकता।
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एसआईटी ने शनिवार रात में ही गोरखपुर पुलिस से गिरफ्तारी में सहयोग मांग लिया था। खबर है कि गोरखपुर से पुलिस की चार टीमें आरोपियों की तलाश में निकल गई हैं।
जानकारी के मुताबिक, जांच के लिए कानपुर से आई एसआईटी टीम रविवार को रामगढ़ताल थाने में दोपहर 12.30 बजे पहुंची थी। करीब एक घंटे तक थाने में जांच की गई। इस दौरान जीडी में पुलिस वालों की रवानागी से लेकर अन्य पहलुओं की जांच की गई। इसके बाद फोरेंसिक टीम ने उस रात इस्तेमाल की गई थानेदार की बोलेरो गाड़ी की सीट पर केमिकल डाला और उसे कब्जे में लेकर परिसर में खड़ा करा दिया। इसी गाड़ी से मनीष को अस्पताल ले जाया गया था, वहां से खून के धब्बे मिलने की सूचना है। एसआईटी टीम दोपहर करीब 1.50 बजे क्राइम ब्रांच के ऑफिस पहुंची और शाम 4.30 बजे तक वहां मौजूद रही। इस दौरान विवेचक से एक बार फिर जानकारी ली गई। अब तक की जांच में शामिल सभी पुलिस वालों से बारीकी से जानकारी हासिल करने के बाद टीम मानसी नर्सिंग होम गई। यहां करीब 20 मिनट तक पुलिस मौजूद रही। डॉक्टर ने स्टाफ द्वारा दी गई पल्स और ब्लड प्रेशर न मिलने की जानकारी एसआईटी को दी है।
एसआईटी टीम रविवार शाम मेडिकल कॉलेज पहुंची। ट्रामा सेंटर के पूछताछ काउंटर पर रजिस्ट्रटर चेक किया, इमरजेंसी पर्ची काउंटर में जांच करने के बाद एसआईटी टीम प्राचार्य के पास पहुंची। बंद कमरे में जानकारी हासिल की। इस दौरान मनीष के आने का समय भी रिकॉर्ड में देखा। प्राचार्य के आवास से निकलने के बाद टीम फिर ट्रामा सेंटर गई। पुलिस सीसीटीवी कैमरे को दो दिन पहले ही लेकर गई थी। मेडिकल कॉलेज से लौटने के बाद टीम के सदस्यों ने फिर से मानसी नर्सिंग होम पहुंचकर जांच की।
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डॉक्टर से नहीं हो पाई पूछताछ
जिस दिन पुलिस घायल मनीष गुप्ता को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंची थी, उस दिन इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के तौर पर डॉक्टर अशोक यादव की ड्यूटी थी। वह रविवार को अपने गांव गए थे, जिस वजह से एसआईटी उनसे पूछताछ नहीं कर सकी।
एसआईटी ने सर्किट हाउस में रविवार सुबह पंचनामा भरने वाले दरोगा समेत दो पुलिस वालों को बुलाया था। उनसे भी अलग से शरीर पर चोट के बारे में जानकारी ली है। इसके अलावा उनसे कई अन्य सवाल किए।
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लोकेशन हासिल करने की कोशिश
सर्विलांस की मदद से इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की लोकेशन जानने की कोशिश की जा रही है। मूलरूप से अमेठी के रहने वाले जगत नारायण का लखनऊ के चिनहट इलाके में भी मकान है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ के मकान के साथ ही अमेठी के घर पर भी टीम ने जेएन सिंह की तलाश की। बताया जा रहा है कि लखनऊ के घर पर तो कोई नहीं मिला, लेकिन अमेठी के मुसाफिरखाना कोतवाली के अढनपुर गांव स्थित जेएन सिंह के पैतृक घर में मिले परिवार के लोगों से टीम ने जेएन सिंह के बारे में पूछताछ की। घरवालों ने बताया कि वे घर नहीं आए हैं। उनसे आखिरी बार बात कब हुई है? इसके बारे में भी पुलिसवालों ने जानकारी ली और कुछ नंबर जुटाए। अमेठी गई पुलिस टीम के साथ मुसाफिरखाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक परशुराम ओझा भी थे।
स्पॉट एक
दोपहर 12:30 बजे : रामगढ़ताल थाने में एसआईटी कानपुर ने जांच की। यहां करीब एक घंटे तक टीम मौजूद रही। इस दौरान जीडी में पुलिस की रवानगी, केस से जुड़े अन्य पत्रावली की जांच की गई। कार्यालय से जुड़ी जानकारी हासिल करने के बाद एसआईटी का नेतृत्व कर रहे एडिशनल पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश के निर्देश पर थानेदार की जीप पर फोरेंसिक टीम ने केमिकल डाला, ताकि वैज्ञानिक विधि से खून का नमूना हासिल किया जा सके।
स्पॉट दो
दोपहर 1:50 बजे : क्राइम ब्रांच के कार्यालय में एसआईटी की टीम पहुंची। यहां करीब ढाई घंटे तक मौजूद रही। इस दौरान केस से जुड़ी अब तक की गई जांच के बारे में जानकारी ली। विवेचक से सवाल-जवाब किया। एसपी क्राइम से भी एसआईटी ने जानकारी हासिल की। इसके बाद टीम एसपी क्राइम को साथ लेकर अगले स्पॉट की ओर निकल गई।
स्पॉट तीन
शाम 4:45 बजे : एसआईटी फलमंडी स्थित मानसी नर्सिंग होम पहुंची। यहां टीम ने डॉक्टर पंकज दीक्षित से जानकारी हासिल की। इस दौरान उस रात ड्यूटी पर रहे स्टाफ से पूछताछ की गई। पता चला है कि स्टाफ ने साफ बता दिया कि जब मनीष को लेकर पुलिस वाले आए थे तो उनका पल्स नहीं मिल रहा था। गंभीर हालत देखते हुए मनीष को तत्काल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था।
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स्पॉट चार
शाम 5:24 बजे: एसआईटी मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर पहुंची। यहां पूछताछ केंद्र पर जानकारी हासिल करने के बाद टीम प्राचार्य ऑफिस गई। प्राचार्य थोड़े देर में आ गए। प्राचार्य आवास में करीब 20 मिनट तक एसआईटी मौजूद रही। इस दौरान एसआईटी ने काउंटर के कंप्यूटर से देखा कि मनीष को लेकर कितने बजे पुलिस आई थी? वहां पर क्या इलाज हुआ। हालांकि उस समय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर मौजूद नहीं थे, जिस वजह से उनसे बातचीत नहीं हो पाई।