अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने का महत्व और इसके नियम क्या हैं.
#KanyaPujan : नवरात्रि की अष्टमी तिथि को कन्याओं को भोजन करने की परंपरा है. क्या आप जानते हैं कन्या पूजन के लिए अष्टमी तिथि ही क्यों इतना महत्वपूर्ण माना गया है. हालांकि कुछ लोग अष्टमी की बजाय नवमी पर कन्या पूजन के बाद उन्हें भोजन कराते हैं.
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने के नियम
- नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है
- इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है
- हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है
- 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है.
कैसे मनाई जाती है अष्टमी…
- अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है.
- सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है.
- सभी कन्याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्हें हल्वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है.
- इसके अलावा उन्हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है. वहीं बंगाली परिवारों में दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है.
- इस दिन लोग सुबह-सवेरे नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर पुष्पांजलि के लिए पंडाल जाते हैं.
- जब ढेर सारे लोग मां दुर्गा पर पुष्प वर्षा करते हैं तो वह नजारा देखने लायक होता है.
- महा आसन और षोडशोपचार पूजा के बाद दोपहर में लोग अष्टमी भोग के लिए इकट्ठा होते हैं.
- इस भोग के तहत भक्तों में दाल, चावल, पनीर, बैंगन भाजा, पापड़, टमाटर की चटनी, राजभोग और खीर का प्रसाद बांटा जाता है.
- पूजा पंडालों में इस दिन अस्त्र पूजा और संधि पूजा भी होती है.
- शाम के समय महाआरती होती है और कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
कन्याओं की उम्र…
कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए. इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए. इनके साथ एक बालक को बिठाने का भी प्रावधान है. इस बालक को भैरो बाबा के रूप में कन्याओं के बीच बैठाया जाता है.
अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
06 अक्टूबर 2019 को कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त हैं.
सुबह 09 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक.
शाम 05 बजकर 58 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने के नियम
- एक दिन पूर्व ही कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें.
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं.
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाएं.
- सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर स्वच्छ पानी से धोएं.
- उसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुंकुम लगाएं.
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें.
दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त
5 अक्टूबर सुबह 09:53 बजे से अष्टमी आरम्भ
6 अक्टूबर सुबह 10:56 बजे अष्टमी समाप्त
संध्या पूजा मुहूर्त- सुबह 10:30 बजे से 11:18 बजे तक