मां दुर्गा (Maa Durga) की सवारी शेर है ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि देवी दुर्गा की सवारी शेर कैसे बना ? अगर नहीं तो आइए आज जानते हैं एक ऐसी पौराणिक कथा के बारे में, जो बताती है कि आखिर मां दुर्गा (Maa Durga) शेर पर ही क्यों सवार हुईं और कैसे उनका नाम शेरावाली पड़ा।
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पार्वती से महागौरी बनने की कहानी
मां दुर्गा के कई रूपों में से एक रूप देवी पार्वती का भी है। पार्वती जी भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इससे पहले शिव को पाने के लिए पार्वती ने कई वर्षों तक तपस्या की थी, इसके चलते उनके शरीर का रंग गोरा से सांवला पड़ गया था। एक दिन भगवान शिव और देवी पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठकर हंसी मजाक कर रहे थे, तभी शिव जी ने मां पार्वती को काली कह दिया। शिव जी की ये बात पार्वती जी को चुभ गई और वो एक बार फिर अपने गौर रूप को पाने के लिए कैलाश छोड़कर फिर से तपस्या करने में लीन हो गईं।
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शेर ऐसे बना मां दुर्गा की सवारी
देवी पार्वती को तपस्या करते देख एक भूखा शेर देवी का शिकार करने के लिए वहां पहुंचा, लेकिन मां पार्वती तपस्या में इतनी लीन थी कि शेर काफी समय तक भूखे-प्यासे देवी पार्वती को चुपचाप निरंतर देखता रहा। देवी पार्वती को देखते-देखते शेर ने सोचा कि जब वो तपस्या से उठेंगी, तो वो उनको अपना आहार बना लेगा। लेकिन कई वर्ष बीत गए और ऐसा नहीं हो सका। देवी पार्वती की तपस्या जब पूर्ण हुई, तो भगवान शिव प्रकट हुए और मां पार्वती को गौरवर्ण यानी मां गौरी होने का वरदान दिया। तभी से मां पार्वती महागौरी कहलाने लगीं।
तपस्या का फल
तपस्या पूरी होने पर मां पार्वती ने देखा कि शेर भी उनकी तपस्या के दौरान भूखा-प्यास बैठा रहा। ऐसे में शेर को भी उसकी तपस्या का फल मिलना चाहिए, तो उन्होंने शेर को अपनी सवारी बना लिया। इस तरह से सिंह यानि शेर, मां दुर्गा की सवारी बना और मां दुर्गा का नाम शेरावाली पड़ा।
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