सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को कोरोना (corona) महामारी केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा कि केवल राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की ही जांच होगी।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सवाल किया कि केंद्र सरकार 100 फीसदी टीकों की खरीद क्यों नहीं करती। इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल पर राज्यों को वितरित क्यों करती ताकि वैक्सीन की दामों में अंतर न रहे। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि आखिरकार यह देश के नागरिकों के लिए है।
कार्रवाई की तो मानेंगे अवमानना – कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य द्वारा ऐसा करने पर हम उसे अवमानना मानेंगे। हमें अपने नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए और न कि उनकी आवाज को दबाना चाहिए। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central government) से पूछा कि क्या भारत में ऑक्सीजन की उपलब्धता पर्याप्त है जबकि प्रति दिन 8500 मीट्रिक टन की औसत मांग है।
इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 10,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दैनिक आधार पर उपलब्ध है। ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। लेकिन कुछ राज्यों द्वारा कम ऑक्सीजन लेने के कारण कुछ क्षेत्रों में उपलब्धता कम हो जाती है।
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अनपढ़ या इंटरनेट एक्सेस ना वाले लोग वैक्सीन कैसे लगवाएंगे – कोर्ट
इसके अलवा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे सामने कुछ ऐसी भी याचिकाएं दायर की गई हैं, जो गंभीर रूप से स्थानीय मुद्दो को उठाती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मुद्दों को उच्च न्यायालय में उठाया जाना चाहिए। वही पीठ ने सवाल किया कि अनपढ़ या जिनके पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है, वे कैसे वैक्सीन लगवाएंगे।
केंद्र से कोरोना मरीजों की राष्ट्रीय नीति को लेकर किया सवाल
कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों पर कितना निवेश किया और कितनी अग्रिम राशि दी? यही नहीं केंद्र को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या केंद्र सरकार मरीजों के लिए अस्पतालों में दाखिले पर कोई राष्ट्रीय नीति बना रहा है? क्या मूल्य निर्धारण को विनियमित किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर अपील करने वाले लोगों के खिलाफ कोई राज्य नहीं कर सकता कार्रवाई – SC
कोर्ट ने आगे कहा कि उन डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को इलाज देने के लिए क्या किया जा रहा है जो कोविड-19 (COVID-19) के संपर्क में है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सोशल मीडिया पर इस संकट के समय लोगों द्वारा अपील करने पर कोई भी राज्य उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती या कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
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