कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन देव दीपावली (Dev Diwal) का त्योहार मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से उतर कर वाराणसी में गंगा नदी के घाटों पर दीपावली मनाते हैं। इस साल देव दीपावली का आयोजन 18 नवंबर को मनाई जाएगी । पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव से त्रिपुरासुर का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी उपलक्ष्य में देवता वाराणसी में दीपावली मनाई जाती है। इसके अलावा मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार भी लिया था। इसी दिन सिख गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था। इस दिन को नानक पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।
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आइए जानते हैं देव दीपावली की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में….
तिथि और मुहूर्त
देव दीपावली (Dev Diwal) का त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णमा 18 नवंबर को 12.00 बजे से लग रही है जो कि 19 नवंबर को 2 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। देव दीपावली का त्योहार 18 नवंबर, दिन गुरूवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव, विष्णु, मां लक्ष्मी और गुरू नानक देव का पूजन किया जाता है।
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धार्मिक महत्व
कार्तिक माह में दीपावली के बाद देव दीपावली (Dev Diwal) का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा – यमुना के घाट पर दीपावली मनाई जाती है। इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन नदियों में दीपदान करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजन करने का विधान है। इस दिन तुलसी विवाह के समारोह का समापन होता है। इस दिन तुलसी पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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