RAHUL PANDEY
ब्लैक फंगस (Fungus) या म्यूकरमायकोसिस म्यूकर फंगस की वजह से होने वाला दुर्लभ संक्रमण है। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों जो बॉडी की इम्युनिटी को कम करती हों या शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इंसान की नाक और बलगम में भी ये पाया जाता है। इससे साइनस, दिमाग, फेफड़े प्रभावित होते हैं। ये डायबिटीज के मरीजों या कम इम्युनिटी वाले लोगों, कैंसर या एड्स के मरीजों के लिए घातक भी हो सकता है। ब्लैक फंगस में मृत्यु दर 50 से 60 प्रतिशत तक होती है।
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ये शरीर में कैसे पहुंचता है और इससे क्या असर पड़ सकता है?
ज्यादातर सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस (Fungus) हमारे शरीर में पहुंचते हैं। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है या शरीर कहीं जल गया तो वहां से भी ये इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया जाता तो आंखों की रोशनी जा सकती है। या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है शरीर का वो हिस्सा सड़ सकता है। ब्लैक फंगस आंख की पुतलियों या आसपास का एरिया पैरालाइज्ड कर सकता है।
ब्लैक फंगस कहां पाया जाता है?
ये बहुत गंभीर लेकिन एक रेयर इंफेक्शन है। ये फंगस (Fungus) वातावरण में कहीं भी रह सकता है, खासतौर पर जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में। जैसे पत्तियों, सड़ी लड़कियों और कम्पोस्ट खाद में ब्लैक फंगस पाया जाता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
शरीर के किस हिस्से में इंफेक्शन है उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं।
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ये इंफेक्शन किन लोगों को होता है, क्या इसका कोरोना से कोई कनेक्शन है?
ये उन लोगों को होता है जो डायबिटिक हैं, जिन्हें कैंसर है, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, जो लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों, जिनको कोई स्किन इंजरी हो, प्रिमैच्योर बेबी को भी ये हो सकता है।
कोरोना (CORONA) जिन लोगों को हो रहा है उनका भी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है।
दूसरा कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड दिए जाते हैं। इससे मरीज की इम्यूनिटी कम हो जाती है। इससे भी उनमें ये इंफेक्शन फैलने की आशंका ज्यादा हो जाती है।
ये फंगस कितना खतरनाक है? ये कम्युनेक्लब डिजीज नहीं है यानी ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है, लेकिन ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके 54% मरीजों की मौत हो जाती है। शरीर में इंफेक्शन कहां है उससे मोटर्लिटी रेट बढ़ या घट सकता है। जैसे- साइनस इंफेक्शन में मोटर्लिटी रेट 46% होता है वहीं, फेफड़ों में इंफेक्शन होने पर मोटर्लिटी रेट 76% तो डिसमेंटेड इंफेक्शन में मोटर्लिटी रेट 96% तक हो सकता है।
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