गणेश जी ने महोदर का अवतार क्यों धारण किया था
आज हम आपको गणेश जी Ganesh Ji के तीसरे अवतार यानी महोदर की कथा लाए हैं। तो चलिए पढ़ते हैं कि आखिर गणेश जी Ganesh Ji ने महोदर का अवतार क्यों धारण किया था।
तो इसलिए श्री गणेश बने महोदर
दैत्यगुरु शुक्राचार्य का शिष्य मोहासुर ने सूर्यदेव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। सूर्यदेव ने प्रसन्न होकर उसे सर्वत्र विजय का वरदान दिया था। वहीं, शुक्राचार्य ने उसे असुरों का राजा भी घोषित कर दिया था। इसी वरदान का गलत उपयोग करते हुए उसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की थी। उसने आतंक का साम्राज्य स्थापित कर दिया था। सभी देवी, देवता, ऋषि और मुनि दैत्य मोहासुर के आतंक से परेशान हो गए थे। धरती पर भी धर्म और कर्म की हानि होने लगी थी। इस परेशानी के निवारण के लिए समस्त देवगण और ऋषि मुनि, सूर्यदेव की शरण में पहुंचे। वहां, उन्हें इससे निजात पाने का उपाय पूछा। सूर्यदेव ने उन्हें श्री गणेश का एकाक्षरी मंत्र दिया। सभी ने पूरे भक्ति भाव से उस मंत्र mantra का जाप किया और श्री गणेश को प्रसन्न किया। गणपति बप्पा प्रसन्न होकर महोदर के रूप में प्रकट हुए।
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