कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है
#Amavasya : भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या Bhadrapada Amavasya कहा जाता है। यह अमावस्या को कृष्ण जी को समर्पित किया जाता है। अमावस्या Amavasyaके दिन दान और पितृ तर्पण का बहुत महत्व होता है।
कुश ग्रहणी अमावस्या
इस अमावस्या Bhadrapada Amavasyaपर कुश (घास) का बहुत महत्व माना जाता है, अमावस्या को धार्मिक कार्यों जैसै श्राद्ध आदि करने में कुश का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश ग्रहणी अमावस्या (Kush Grahani Amavasya) भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे भादों अमावस्या भी कहते हैं।
अगर यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है और सूर्यग्रहण भी होता है तो इस अमावस्या का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
पिठोरी अमावस्या व्रत
ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह दिन कालसर्प दोष KaalSarp Dosh के निवारण के लिए भी उत्तम माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या 19 अगस्त को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर अमावस्या पर पितर तर्पण किया जाता है और इसका अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने पिठोरी अमावस्या व्रत का महत्व बताया था। सनातन धर्म में भादो अमावस्या का विशेष महत्व है।
तिथि और मुहूर्त
18 अगस्त को 10 बजकर 41 मिनट पर अमावस्या तिथि आरम्भ
19 अगस्त को 08 बजकर 12 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त
महत्व
धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। पितृ दोष pitra dosha से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। भारत का प्रमुख त्योहार दीपावली अमावस्या को ही मनाया जाता है। सूर्य पर ग्रहण भी इसी तिथि को लगता है। कोई जातक यदि काल सर्पदोष Kaal Sarp Dosh से पीड़ित है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिये भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है।
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उपाय
अमावस्या पर दान-स्नान का बहुत महत्व माना गया है, इसलिए इस दिन प्रातःकाल की बेला में किसी पवित्र नदी, कुंड में स्नान करना चाहिए और सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
अमावस्या का दिन पितृ तर्पण के लिए बहुत उत्तम रहता है, इसलिए इस दिन किसी नदी के तट पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और दान करें। इससे आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी।
जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष बनता हो, उन लोगों को अमावस्या के दिन कालसर्प दोष निवारण करवाना चाहिए। इससे कालसर्प दोष के कारण होने वाले प्रभाव कम होते हैं।
अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करने का महत्व भी माना गया है। अमावस्या के दिन आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा भी कर सकते हैं।
अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन संध्या के समय किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें और प्रार्थना करते हुए पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।