हिंदी पंचाग के अनुसार, दिवाली (Diwali) का त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घरों की साफ सफाई की जाती है और दीपक या रोशनी से घरों, मंदिरों और चौराहों को सजाया जाता है। इस वर्ष मलमास के कारण दिवाली का त्योहार बिलंब से आएगी। आइए जानते हैं कि इस वर्ष दिवाली का त्योहार किस तारीख को है, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त क्या है और दिवाली का महत्व क्या है?
इसमें प्रात:काल मुहूर्त, चौघड़िया मुहूर्त, निशिता मुहूर्त, जो देर रात में होती है, आदि होते हैं। हर मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा का अपना महत्व और उद्देश्य होता है। अधिकतर गृहस्थ चौघड़िया मुहूर्त में ही माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करना पसंद करते हैं।
कब है दिवाली
इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 14 नवंबर दिन शनिवार को है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 14 नवंबर को दोपहर में 02 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 15 नवंबर को दिन में 10 बजकर 36 मिनट तक है। ऐसे में दिवाली (Diwali) का त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा।
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
इस वर्ष लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल में 1 घंटा 56 मिनट के लिए बन रहा है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 24 मिनट के मध्य है। यह मुहूर्त प्रदोष काल की पूजा का है।
निशिता काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
देर रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक है। 34 मिनट की अवाधि में आपको लक्ष्मी पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए।
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लक्ष्मी पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त
दोपहर में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 02 बजकर 17 मिनट से शाम को 04 बजकर 07 मिनट तक।
शाम में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 07 बजकर 07 मिनट तक।
रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: रात 08 बजकर 47 मिनट से देर रात 01 बजकर 45 मिनट तक।
प्रात:काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: 15 नवंबर को 05 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक।
महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम जब लंका विजय कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पूरा कर अयोध्या वापस आए थे। तब अयोध्या का हर घर और चौराहा दीपों की रोशनी से जगमग था। हर अयोध्यावासी ने भगवान राम के वनवास से नगर आगमन पर अपने घर को दीपों से सजाया था। तब से हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है।
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