ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा 24 जून को है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा (Purnima) का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-पुण्य करने का विधान है। इस दिन गंगा में स्नान से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही पापों का भी नाश होता है। इस दिन दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान शिव, भगवान विष्णु, मां गंगा के साथ चंद्र देव की आराधना होती है।
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महत्व
पंडित के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजन विधि
पंडित के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व माना गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान के समक्ष धूप-दीप प्रज्जवलित करें और अक्षत, रोली, फल, फूल से पूजा करें। पूरे दिन व्रत (vrat) रखने के बाद शाम के समय पुनः भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन करें। चंद्र दर्शन कर पूजन करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाकर व्रत का पारण करें।
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