जानिए, क्यों धारण करते हैं शिव #Trishul
भगवान शिव को हमने हमेशा #त्रिशूल धारण करते हुए देखा है. लेकिन क्या आप जानते हैं, इस त्रिशूल का अपना ही महत्व है. भगवान शिव का त्रिशूल अपने पीछे कई रहस्य छिपा कर बैठा है. इस त्रिशूल से पूरे संसार की गतिविधियों पर असर पड़ सकता है. आज आपको बताते हैं भोलेनाथ के इस त्रिशूल के बारे में और बताते हैं इसकी महिमा.
तब अलग होता है इसका महत्व
वैसे तो त्रिशूल हिंदू मान्यता के अनुसार कई देवी देवता त्रिशूल धारण करते हैं. लेकिन जब इसे भगवान शिव धारण करते हैं, तब इसका महत्व अलग होता है. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव पहली बार इस धरती पर प्रकट हुए, तब उनके साथ रज, तम और सत गुण का भी जन्म हुआ.
महादेव का त्रिशूल प्रकृति के तीन प्रारूप…
आविष्कार, रखरखाव और तबाही को भी दर्शाता है. तीनों काल- भूत,वर्तमान और भविष्य भी इस त्रिशूल के अंदर समाते हैं. सिर्फ यही नहीं, त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी रूप त्रिशूल में देखा जा सकता है.
हमेशा दूर रहती हैं नकारात्मक ताकतें
मान्यता तो ये भी है कि त्रिशूल के चलते सभी नकारात्मक ताकतें हम से हमेशा दूर रहती हैं और हम आध्यात्मिक जीवन की तरफ अग्रसर होते हैं. त्रिशूल एक व्यक्ति के घमंड को भी समाप्त करता है और उसे अपने प्रभु के और पास आने का मौका देता है. वो इस भौतिक जीवन को छोड़ सत्य की अनुभूति करता है.
त्रिशूल का शिव के हाथ में होने का अर्थ होता है
- बता दें, त्रिशूल का शिव के हाथ में होने का अर्थ होता है कि वे तीनों गुणों से ऊपर हैं, अर्थात निर्गुण हैं.
- कई लोगों को ऐसी भी धारणा होती है कि महादेव का त्रिशूल तबाही का प्रतीक होता है.
- लेकिन आपको बता दें, तबाही के साथ आपको सभी कष्टों से मुक्त भी ये त्रिशूल ही करता है.
- त्रिशूल आपको सत्य का मार्ग दिखता है और उस पर चलने के लिए प्रोतसाहित भी करता है.
- आसान शब्दों में त्रिशूल के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.