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Delhi पटियाला हाउस कोर्ट ने अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के सिफारिशी पत्र पर जाली हस्ताक्षर करने वाले वकील की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. राकेश कुमार अवस्थी नाम के इस वकील ने कथित रूप से गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सिफारिशी पत्र पर जाली हस्ताक्षर किए थे. कोर्ट ने वकील की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ये पहला मामला नहीं है उन्होंने जाली हस्ताक्षर किया है. इससे पहले भी उनके खिलाफ इस तरह की शिकायतें मिली हैं. यह भी खबरें पढें : #CHHATHPUJA : इस साल कब है खरना, जानें महत्व #HIGHCOURT : पुलिस अधिकारियों पर दर्ज एफआईआर का दो हफ्तों में ब्योरा मांगा #UTTARPRADESH : तालाब में मिले सगी बहनों के शव, गांव में दहशत 20 नवंबर की रात 9 बजे से 23 नवंबर सुबह 6 बजे तक पूर्ण कर्फ्यू #CHHATH : आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें कैसे शुरू हुई परंपरा?
- कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राकेश कुमार ने वकील होते हुए इस तरह का कृत्य किया है. जबकि वकालत करने वाले व्यक्ति को अच्छे से पता होता है कि क्या कानूनी काम है और क्या गैरकानूनी. इसके बावजूद वकील ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री जैसे लोगों की सिफारिश पत्र पर जाली हस्ताक्षर किए हैं.
पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राकेश कुमार 1991 से वकालत कर रहा है. उसके कैरियर को देखते हुए पहले आई शिकायतों पर उसके खिलाफ कोई कानूनी कारवाई नहीं की गई. लेकिन अब मामले की गंभीरता और पुराना ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए कोर्ट वकील की जमानत अर्जी को खारिज कर रहा है.
जमानत याचिका को खारिज कर दिया
बता दें, ये कथित फर्जीवाड़ा विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति हासिल करने के उद्देश्य से किया गया था. विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति के लिए एक सिफारिश पत्र पर गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जाली हस्ताक्षर किए गए थे. लेकिन पुलिस तक इसकी शिकायत पहुंचने पर आरोपी वकील को गिरफ्तार कर लिया गया है. हालांकि आरोपी वकील की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने बहस के दौरान कोर्ट को कहा कि राकेश कुमार को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. आरोपी वकील के बचाव में अधिवक्ता ने आगे कहा कि उसने विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति के लिए किसी भी दस्तावेज को तैयार या जाली नहीं किया है. लिहाजा इस मामले में उसे जमानत मिलनी चाहिए. लेकिन कोर्ट आरोपी के वकील के किसी भी तर्क से सहमत नहीं दिखा और उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
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