11 मार्च यानी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का त्यौहार मनाया जाता है। यह एक ऐसा अवसर है जो हिंदू कैलेंडर में हर एक महीने आता है। हर महीने आने वाली शिवरात्रि को मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। वहीं, फाल्गुन माह में आने वाली इस तिथि को महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) मनाई जाती है। जैसा कि नाम से ही ज्ञान है यह दिन भगवान शिव की महान रात कही जाती है।
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आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर पूजा अनुष्ठान, आरती, मंत्र और पूजा सामाग्री की जानकारी…
महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री
सुगंधित पुष्प, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल आदि।
पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त स्नान कर लेते हैं और साफ या नए वस्त्र पहनते हैं। फिर शिव मंदिर जाते हैं। फिर शिवलिंग पर पानी, दूध, बेल के पत्तों, फल जैसे बेर या लाल बेर चढ़ाए जाते हैं। फिर धूप, अगरबत्ती के साथ शिवलिंग की पूजा की जाती है। शिवलिंग के चारों ओर 3 या 7 फेरे लिए जाते हैं। साथ ही फूल भी चढ़ाए जाते हैं। शिवजी के समक्ष अपनी मनोकामना कही जाती है। इससे शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की इच्छा पूर्ति करते हैं।
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शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
महाशिवरात्रि के मंत्र:
प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।।
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