गणेश जी ने धारण किया था विकट अवतार
आज हम आपके लिए गणेश जी Ganeshji के पांचवे अवतार यानी विकट के बारे में बता रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि गणेश जी ने विकट अवतार आखिर क्यों धारण किया।
पौराणिक कथा के अनुसार
भगवान विष्णु vishnu का अंश था कामासुर। विष्णु जी ने जलंधर नाम के एक राक्षस को खत्म करने के लिए उसकी पत्नी का सीतत्व भंग किया था। इसी से कामासुर की उत्पत्ति हुई थी। कामासुर अत्यंत तेजस्वी था। कामाग्नि की भावना से पैदा होने के चलते उसका नाम कामासुर पड़ा था। इस दैत्य ने शुक्राचार्य से शिक्षा प्राप्त की थी जो एक दैत्य गुरू थे। कामासुर ब्रह्माण्ड को जीतना चाहता था और शुक्राचार्य ने उसकी इस इच्छा को जानने के बाद उसे शिव को प्रसन्न करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि उसे शिव shiv की कठोर तपस्या करनी होगी।इसके बाद से ही कामासुर ने भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करना शुरू किया। उसने अन्न, जल सब त्याग दिया। उसका शरीर भी जीर्ण शीर्ण हो गया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी shiv ने उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। उसने शिवजी से वरदान में ब्रह्माण्ड का स्वामी, शिवभक्ति और मृत्युन्जयी का वर मांगा। वरदान मिलने के बाद से ही कामासुर ने पृथ्वी के समस्त राजाओं को पराजित कर पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसके बाद स्वर्ग पर भी कब्जा कर लिाय। इसके बाद सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनि ने महर्षि मुद्गल के मार्ग दर्शन में कामासुर से निजात पाने के लिए गणपति बप्पा की अर्चना और उपासना की। उनकी उपासना से प्रसन्न होकर गणेश जी Ganeshji ने विकट अवतार लिया।
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गणपति बप्पा के विकट रूप की सवारी मयूर है। सभी ने विकट अवतार के साथ मिलकर कामासुर के साथ युद्ध किया। इस युद्ध में कामासुर के दोनों पुत्र मारे गए। यह देख कामासुर भी समझ गया कि वो जीत नहीं सकता है। ऐसे में विकट के गुस्से से बचने के लिए उसने उनकी शरण ले ली और माफी मांगी।
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