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जानें, क्या है इंदिरा एकादशी का महत्व और पूजा विधि
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. इंदिरा एकादशी उपवास का विशेष महत्व है. इससे पापों का नाश तो होता ही है, साथ ही पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है. इससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. इस समय एकादशी के उपवास से गंभीर रोगों से रक्षा होती है.
किस प्रकार पूजा उपासना करें
- इस दिन प्रातः उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें, तत्पश्चात भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप की आराधना करें.
- उनको पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं.
- इसके बाद भगवान का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें.
- इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें. अगर फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे.
- इस दिन फलाहार का दान करें और गाय को भी फल आदि खिलाएं.
- अगले दिन प्रातः निर्धन लोगों को भोजन कराएं, वस्त्र आदि का दान करें.
- फिर स्वयं भोजन करके व्रत का समापन करें.
- इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं, क्रोध न करें, झूठ न बोलें.
पितरों के लिए इस दिन क्या विशेष प्रयोग करें
- जब कभी श्राद्ध, श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा श्राद्ध होता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती है.
- पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महाप्रयोग करके इस समस्या का निदान किया जा सकता है.
- एकादशी के दिन उरद की दाल, उरद के बड़े और पूरियां बनाएं और चावल का प्रयोग न करें.
- भगवद्गीता का पाठ करें.- निर्धनों को भोजन कराएं और उनसे आशीर्वाद लें.
इंदिरा एकादशी के दिन किस प्रकार पितरों की आत्मा को शांति दें
- इसके लिए भगवान को फल और तुलसी दल अर्पित करें.
- भगवान के समक्ष भगवदगीता का पाठ करें.
- निर्धनों को फल का दान करें.
- एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं.
- किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगा दें.
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