तमिलनाडु के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है पोंगल
पोंगल तमिलनाडु के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। उत्तर भारत के मकर संक्रांति और लोहड़ी के त्योहारों को ही दक्षिण भारत में ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है। तमिल में पोंगल का अर्थ उफान होता है। पोंगल का त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है।
यह त्योहार तमिल महीने ‘तइ’ की पहली तारीख से शुरू होता है और इसी दिन से तमिल नववर्ष की भी शुरुआत होती है।
इसलिए मनाते हैं पोंगल…
दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इन्द्रदेव तथा खेतिहर मवेशियों की पूजा और आराधना की जाती है।
कैसे मनाते हैं त्योहार…
पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। चौथे दिन काली पूजा होती है। यानी दिवाली की तरह रंगाई-पुताई, लक्ष्मी की पूजा और फिर गोवर्धन पूजा की तरह मवेशियों की पूजा। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है, नए कपड़े और बर्तन खरीदे जाते हैं। बैलों और गायों के सींग रंगे जाते हैं। सांडों-बैलों के साथ भाग-दौड़कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी होता है। इस दिन खास तौर पर खीर बनाई जाती है। इस दिन मिठाई और मसालेदार पोंगल भी तैयार किए जाते हैं। चावल, दूध, घी, शकर से भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं।
कथा
कथानुसार शिव अपने बैल वसव को धरती पर जाकर संदेश देने के लिए कहते हैं कि मनुष्यों से कहो कि वे प्रतिदिन तेल लगाकर नहाएं और महीने में एक दिन ही भोजन करें। वसव धरती पर जाकर उल्टा ही संदेश दे देता है। इससे क्रोधित होकर शिव श्राप देते हैं कि जाओ, आज से तुम धरती पर मनुष्यों की कृषि में मदद करोगे।