घर में पूजा स्थान पर शंख रखा जाता है, वास्तु दोषों को दूर करने के लिए भी शंख का प्रयोग कि या जाता है। हिन्दू धर्म में शंख का विशेष महत्व है। जब कभी मांगलिक कार्य, पूजा पाठ, हवन आदि होता है तो शंख बजाया जाता है। शंख बजाने का सेहत से भी संबंध है।
आज हम आपको शंख के महत्व, उसकी उत्पत्ति तथा होने वाले फायदे के बारे में बता रहे हैं…
उत्पत्ति
सागर मंथन से निकले 14 रत्नों में शंख भी शामिल था। शंख को लक्ष्मी जी का भाई माना जाता है क्योंकि दोनों की उत्पत्ति सागर मंथन से हुई थी। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अपने हाथ में शंख धारण करती हैं, इसलिए इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। हर प्रकार के पूजा में शंख का प्रयोग होता है, सिवाय भगवान शिव के।
महत्व और फायदे
प्रत्येक दिन शंख बजाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। शंख बजाने से हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं, सांस संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
शंख में जल भरकर घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आसपास का वातावरण पवित्र एवं शुद्ध हो जाता है।
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वास्तुशास्त्र में शंख का विशेष महत्व है। घर के दक्षिण दिशा में शंख रखने से व्यक्ति को यश, कीर्ति और उन्नति मिलती है।
घर के उत्तर पूर्व दिशा में शंख रखने से शिक्षा में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। शंख को पूजा स्थान या लिविंग रूम में रखना भी लाभदायक माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि शंख में रखा हुआ पानी खराब नहीं होता है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुण होते हैं। उसके जल को पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं। दांत भी स्वस्थ रहते हैं।learn-why-conch-is-important-in-worship-and-
कहा जाता है कि जिस घर में शंख रखा जाता है, वहां पर माता लक्ष्मी का वास होता है। माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास शंख रखने से घर में सुख, समृद्धि और वैभव आता है।
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